मीडिया अपनी टीआरपी की हवस में किसी भी हद तक जा सकता है। खासतौर से इलैक्ट्रॉनिक मीडिया ने तो जैसे सारी नैतिकता ही खत्म कर दी है उसको कोई मतलब नहीं है की इस देश और देश की जनता के साथ क्या हो रहा है,, आज के युग में जब " लोकतंत्र शब्द " जब एक गाली बन चूका है, तो लोकतंत्र का चौथा स्तम्ब कहलाये जाने "बिकाऊ" मीडिया की कोई प्रासंगिकता नहीं रह गयी है..
26 तारीख को मुंबई में आतंकवादी हमला हुआ हुआ तो पूरे देश में अफरा तफरी का माहौल था, लोग समझ नहीं प् रहे थे की क्या हो रहा है.. जिसने भी ये सुना की देश पर सबसे बड़ा आतंकवादी हमला हुआ "वो स्तब्ध था". प्रिंट इलेक्ट्रोनिक मीडिया के तमाम कर्मचारी कुछ देर में ही होटल ताज और नरीमन हाउस के पास अपने ताम झाम के साथ पहुँच गए. और जैसा की होता आ रहा है, हर खबर को एक्सक्लूसिव बता बता कर दिखा रहे थे, मतलब साफ़ है की ढहते किलों के बीच इलेक्ट्रानिक मीडिया को नया मंत्र मिल गया था . वह मंत्र था - आतंकवाद. आतंकवाद से इस लड़ाई में मीडिया सीधे जनता के साथ मिलकर मोर्चेबंदी कर रहा था.
वैश्विक मंदी के इस दौर में आतंकवाद ही एक ऐसा मंत्र था जो ज्यादा देर तक दर्शकों को बुद्धूबक्से से जोड़कर रख सकता था. इलेक्ट्रानिक मीडिया इस मौके को किसी कीमत पर नहीं चूकना चाहता था. वही ताज होटल और नरीमन हाउस में अपनी जान की बाज़ी लगाकर लोहा लेते "राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड" (NSG) के अधिकारी और खुद मेजर दत्ता मीडिया से बार बार आग्रह कर रहे थे, की इस बात की पूरी संभावना है की आतंकवादी होटल में लगे टीवी सेट्स से हमारी हमारी कदम कदम की रणनीति की जानकारी ले रहे है,,, और ये बाद में साबित भी हो गयी की न्यूज़ अपडेट पाकर की आतंकवादी अपनी कदम कदम की रणनीति बना रहे थे.. पर उस समय मीडिया को सबसे जयादा अपनी टी आर पी की फिकर ज्यादा थी और कोई चैनल इससे चूकना नहीं चाहता था.
अगर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मीडिया इतना ही ईमानदार होता तो बीच में विज्ञापनों का ब्रेक न चलाता. अगर आतंकवाद के खिलाफ मीडिया इतना ही ईमानदार होता तो चिल्ला-चिल्लाकर अपनी प्रामाणिकता सिद्ध करने की दुहाई न देता. अगर असल मुद्दा आतंकवाद है तो फिर चैनलों के ब्राण्डों पर असली पत्रकारिता की अलाप क्यों लगायी जाती है? क्यों टीवी के नौसिखिए लड़के/लड़कियां हमेशा अपने ब्राण्ड द्वारा ही सच्ची पत्रकारिता करने की दुहाई देते रहते हैं? क्यों टीवी वाले यह बताते हैं कि उन्हें इस मुद्दे पर इतने एसएमएस मिले हैं जबकि एक एसएमएस भेजने के लिए उपभोक्ता की जेब से जो पैसा निकलता है उसका एक हिस्सा टीवी चैनलों को भी पहुंचता है. इन सारे सवालों का जवाब यही है कि आखिरकार टीवी न्यूज बहुत संवेदनशाली धंधा है. और जिन पर इस बार हमला हुआ है वे भी धंधेवाले लोग हैं. एक धंधेबाज दूसरे धंधेबाज के लिए गला फाड़कर नहीं चिल्लाएगा तो क्या करेगा? आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के उनके मंसूबे तब दगा देने लगते हैं जब पता चलता है कि जिस चैनल की टीआरपी बढ़ी उसने अपनी विज्ञापन दर बढ़ा दी. है कोई चैनलवाला जो इस बात से इंकार कर दे?
मीडिया ने कुछ ऐसे मुद्दों को इतना ज्यादा बढावा दिया जितना की वो नहीं थे..जैसे आरुषि हत्याकाण्ड क्या हुआ लगता है कोई बहुत बड़ा विस्फोट हो गया। अगर इस प्रकार की कोई घटना किसी निम्न तबके की होती तो शायद खबर भी नहीं छपती। माना हत्याकाण्ड काफी गंभीर है लेकिन एक ही बात को लेकर सभी चैनल हाथ धोकर पीछे पड़ गए हैं जैसे उनको कोई बहुत बड़ा सुराग मिल गया है या कोई खजाना। मैंने काफी सारे केस देखें हैं जिन्हें आज तक किसी भी चैनल ने हाथ धोकर पीछे नहीं पड़े - लेकिन इस आरुषि हत्याकाण्ड को लेकर चैनल वालों ने तो कमाल ही कर दिया। मेरे हिसाब से एक बात को अगर दिखाया जाए तो कम से कम शब्द और साफ तरीके से दिखाया जाए न कि उसे लगातार दिखाना। किसी को ये विचार गलत लगे तो माफ करना -लेकिन इस भारत में और भी आरुषि हत्याकाण्ड है जिनका कोई जिक्र नहीं किया या जिनको मीडिया ने दफना दिया क्यूंकि कोई बड़ा नेता या बड़ा नौकरशाह इसमें शामिल था..
आजकल मीडिया का स्तर इतना ज्यादा गिर चूका है की कोई भी नेता और नौकरशाह कभी भी अपने लिए पैड आर्टिकल छापवा सकते है फिर चाहे उसका असर जो भी हो.. हम सब जानते है मीडिया की कमान आजकल सता के गलियारों में है लेकिन इतना भी क्या गिरना की उठने लायक ही नहीं रहो.. नवभारत , एन डी टीवी, आजतक, जैसे कुछ चेन्नल है जो सिर्फ "तुरीन सरकार" के लिए काम करते है, ये एक लाबी है जिसका काम यही है की "सेकुलर और मुल्ला" बिरादरी को कैसे खुश रखा जाये,, चाहे इसके लिए इन्हें शांतिपसंद हिन्दुओं को चाहे "आतंकवादी" ही क्यूँ न बताना पड़े.. चाहे " भगत सिंह, वीर सावरकर, सुभाषचंद्र बोस और बिस्मिलाह " जैसे देशभक्तों को आतंकवादी बताना पड़े. पर "तुरीन सरकार" को खुश रखने के लिए उसके काले कारनामो पर तेल लगाना जैसे इसकी आदत बन गयी है.. आज जरूरत है मीडिया को अपनी साख बचाकर अपने मूल सिद्दांत वापस अपनी कार्यशैली में लाने की.
मेरे कुछ दोस्त बात करते है की बढ़ाते इन्टरनेट की चलन के 5 साल में मीडिया खुद अपनी मौत मरेगा,, भगवान् करे ऐसा ही हो. ताकि हम खुद अपने स्तर पर भले बुरे की पहचान कर सके. ताकि फिर कोई "मैकाले" हमें फिर से गुलामी के तरीके और दास्ताँ न पढ़ाने आये..
(नीचे एक सम्मानित अखबार भास्कर की फोटो दे रहा हूँ, जिसमे बंगलोरे को आँध्रप्रदेश की राजधानी बताया गया है.. क्या कर्नाटक भाजपा शाशित है सिर्फ इसलिए या आन्ध्रप्रदेश "कांग्रेस" शाशित है इसलिए. बात जो भी हो मीडिया को अपने काम की जिम्मेदारी लेनी होगी..)
@राजेन्द्र जी
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर उस स्वयं भू पिताजी उर्फ़ भाई जी उर्फ़ anonymous के की धमकियों के बावजूद अच्छाई और सच्चाई के लिए मेरा साथ देने का शुक्रिया . लेकिन आप सावधान रहे .वो सनकी अब आपके ब्लॉग पर आकर आपको target करने की और आपका होंसला गिराने की कोशिश करेगा . लेकिन आप चिंता ना करें मैं आपके साथ हूँ .अगर वो ऐसा कुछ करे तो मुझे अवश्य बताएं क्योंकि ऐसे लोग अच्छे लोगों की अच्छाई का ही फायदा उठाते हैं और मैं उसे ऐसा करने नहीं दूंगा .क्या आपकी कोई ID है Orkut पे ?, अगर नहीं है तो ज़रूर बना लें क्योंकि उसके ज़रिये हम लगातार आपस में बात कर सकते हैं . इसके किसी भी बेहूदा या भद्दे कमेन्ट को publish बिलकुल ना करें क्योंकि इससे उसे बढ़ावा मिलेगा .हाँ उसकी बातों का उसे मूंह तोड़ जवाब अवश्य दें अगर वो कोई गलत हरकत करे आपके ब्लॉग पर .
अब आपकी इस latest पोस्ट के विषय में आते हैं सच में आपने बहुत ही सही और ज्वलंत मुद्दों को उठाया है , मैंने भी एक चैनल पर आतंकवादियों की 26 /11 के हमले के दौरान अपने आकाओं से हुई बातचीत सुनी थी जिसमें उनके वे दरिन्दे मालिक उन कुत्तों को पल-२ की जानकारी दे रहे थे हमारे जवानों की movement के बारे में और वो भी हमारे ही मीडिया channels के हर जगहां को लाइव दिखाने के कारण . इस पर अवश्य ही कोई नीति बननी चाहिए की ऐसे हमलों के दौरान , मीडिया का प्रसारण कैसे हो
ReplyDeleteएक और बड़ी ही गंभीर बात है की ये मीडिया निष्पक्ष नहीं है ,भेद-भाव काफी करता है फिर चाहे वो नरेन्द्र मोदी जी के खिलाफ दुष्प्रचार हो या फिर कांग्रेस का बचाव . इसे भाजपा सांसदों द्वारा संसद में नोट उछाला जाना तो दिखता है लेकिन जब पता लगता है की ये कांग्रेस ने ही उन्हें अपने पक्ष में vote करने के लिए दिए थे तो उन्ही सांसदों पर झूठा इलज़ाम लगा देता है की ये तो इन्होने कांग्रेस को बदनाम करने के लिए किया है , गुजरात दंगे बहुत जोर-शोर से दिखाते हैं लेकिन गोधरा-काण्ड पर कोई बात नहीं करना चाहता ,मोदी जी का देशद्रोहियों के प्रति आक्रामक रुख इस मीडिया को अखरता है लेकिन गुजरात में उनके द्वारा किया गया विकास नहीं दिखता . सच में NDTV और CNN /IBN इन दोनों channels का तो agenda ही है anti -modi politics का
अब इस मीडिया की काफी सच्चाई तो आपने ही बता दी है तो मेरा ज्यादा कहना ठीक नहीं .लेकिन इन सभी बुराइयों के बावजूद इसके कुछ अच्छे पक्ष भी हैं , मसलन जेसिका लाल हत्याकांड हो या फिर नितीश कटारा हत्याकांड, निठारी काण्ड हो या फिर रुचिका गिरहोत्रा molestation case आदि . ये कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिनमें हमारी न्यायपालिका ने शुरू में तो दोषियों के पक्ष में ही फैसला दिया था लेकिन बाद में मीडिया द्वारा इसे जोर-शोर से उठाये जाने के बाद ही मामलों में इन्साफ होने की उम्मीद जगी और दोषियों को सज़ा सुनाई जा सकी .
कुल-मिलाकर कह सकते हैं की इसके अपने अच्छे और बुरे, दोनों पहलू हैं . इसके बुरे पहलू जो की आपने विस्तार से बताएं हैं को दूर किया जाना चाहिए और अच्छों को बढ़ाया दिया जाना चाहिए .
आपसे एक बात पूछनी थी की ये आपने अपने ब्लॉग पर " ताज़ा टिप्पणियाँ " और चलता हुआ पोस्ट्स का scroll widget कैसे लगाया ? कृपया बताएं .
मेरी तरफ से आपको बहुत-२ बधाई पोस्ट के लिए .ये बहुत ख़ुशी की बात है की आप निरंतरता बनाते हुए पोस्ट दर पोस्ट लिख रहे हैं .ऐसी ही निरंतरता एक बार मैंने भी पकड़ी थी लेकिन अब मेरा exam बीच में आ जाने की वजह से अगली पोस्ट नहीं लिख पा रहा हूँ .एक बार मेरा exam हो जाए फिर मैं भी बहुत से मुद्दों पे आपकी ही भाँती निरंतर पोस्ट लिखने का इच्छुक हूँ .
धन्यवाद
महक
कहाँ ब्लॉग्गिंग कर रहे है आप लोग, उस देश में जहाँ सत्य का गला घोंट दिया जाता है ? धिक्कारे भी किसे जब पूरा देश ही झूठ की बुनियाद पर खड़ा है ?
ReplyDeleteBlog has been removed
Sorry, the blog at sureshchiplunkar.blogspot.com has been removed. This address is not available for new blogs.
Did you expect to see your blog here? See: 'I can't find my blog on the Web, where is it?'
pls read a new article on my blog -
ReplyDeleteभारतीय मुस्लिम जगत सदा शंकराचार्य जी का आभारी रहेगा कि उन्होंने पवित्र कुरआन की 24 आयतों के पत्रक छापकर नफ़रत फैलाने वाले गुमराहों की अंधेर दुनिया को सत्य के प्रकाश से आलोकित कर दिया है।
http://mankiduniya.blogspot.com/2010/09/thanks-to-great-swami-24-anwer-jamal.html