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Thursday, June 24, 2010

कांग्रेस की (अ)निति:- जो हिंदुत्व की बात करेगा वो (भगवा) आतंकवादी. Hindutva Means Terrorisam..(for Congress)..???

जैसा की आप सब महानुभाव जानते है कि  पिछले 5 साल से हिन्दू आतंकवाद का नाम आपने इस "बिकाऊ मीडिया" के जरिये बार बार सुना होगा.. चाहे साध्वी प्रज्ञा हो या प्रमोद मुतालिक हो या चाहे विहिप और बजरंग दल हो. सबको एक "आतंकवादी संघठन" घोषित करने के खातिर  "तथाकथित तुरीन चमचो और सेकुलर नागों" ने एक खास वोट बैंक को खुश करने के लिए "भूख हड़ताल और आमरण अनशन" जैसे हजारों नाटक किये है...   अब एक नया मुद्दा भोली भाली (बेवकूफ) जनता के सामने आया है कि भाजपा सिर्फ कट्टर हिन्दुओं को ही चुनाव का टिकैट देती है,, ये मुद्दा कुछ सेकुलर नेताओं जरा बार-बार उठाया जा रहा है (ताकि तैमुर के वंशजों" के वोट सलामत रहे) और उसमे सबसे पहले नाम उठाया जा रहा है वो हैं " गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ". .

सेकुलर नेताओं और कठमुल्लों के निशाने पे रहने वाले "योगी आदित्यनाथ " को जब भाजपा ने चुनाव का टिकट दिया तो मानो इन "तुरीन चमचों के कलेजे पर हजारों जहरीले सांप लोट गए" क्यूंकि ये मुद्दा तथाकथित "सेकुलर नेता और तथाकथित भाजपा भक्तों को नागवार गुजरा कि हिन्दू युवा वाहिनी और हिन्दू महासभा के बैनर तले हिन्दू धर्मं का प्रचार करने वाले योगी को सांसद का टिकट दे दिया गया.  मैं इस चर्चा को जरी रखते हुए आपको सबसे पहले योगी आदित्यनाथ  का परिचय करावा देना चाहता हूँ.
"योगी आदित्यनाथ" गोरखनाथ मठ के उत्तराधिकारी है और हिन्दू युवा वाहिनी के संरक्षक हैं. इसके अलावा हिन्दू जागरण मंच, केसरिया सेना, केसरिया वाहिनी, कृष्ण सेना आदि अनेक ऐसे संगठन हैं जो उनके अग्रिम संगठन के रूप में काम करते हैं. और भी कई संगठन हैं जो समाज के अलग-अलग वर्गों को संगठित करने के क्रम में तैयार किये गए हैं, जैसे फुटपाथ पर गुजारा करने वालों को ' राम प्रकोष्ठ' के अंतर्गत और जो लकड़ी या बांस का काम करते हैं उन्हें 'बांसफोड़ हिन्दू मंच' के बैनर तले संगठित किया जा रहा है और ये बात "सेकुलर चमचों" को कभी भी मंजूर नहीं कि हिन्दुओं का भला हो और वो संघटित हो जाये क्यूंकि इनको तो एक खास वोट बैंक में ही अल्लाह , परमात्मा, और ईसाह मसीह निवास करते है..
"योगी बाबा आदित्यनाथ कि असली पूँजी और ताकत है "गोरखनाथ मठ" और वही उनका आश्रय स्थल है..जहाँ वे लोगो को धर्म और सदमार्ग पर चलने और "सर्व धर्मं संभाव" के उपदेश देते है लेकिन वो ये नहीं जानते कि कुछ खास "मुल्लों" और "तुरीन चमचों" ने उनके खिलाफ एक योजनाबद्ध तरीके से उनको  "बदनाम" करने कि मुहीम छेड़ रखी है और इसके लिए बाकायदा "बिकाऊ तुरीन पत्रकारों" के द्वारा पेड आर्टिकल लिखाये जा रहे है. चूँकि उन्होंने ये हिन्दुओं को संघटित करने कि प्रेरणा "RSS" और "विश्व हिन्दू परिषद्" से ली है इसके लिए बाकायदा बदनाम भी किया जा रहा है, (मतलब ये कि जो हिन्दुओं और हिंदुत्व कि बात करेगा वही इस कलयुगी सरकार के लिए "आतंकवादी और अलगाववादी" होगा)  योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक प्रभाव और अंदाज़ देखकर इन "तुरीन चमचों" कि पैंट गीली और ढीली हो रही है और उनके पिछवाड़े में इस तरह खलबली मची हुई है  कि उन्होंने इस प्रभाव कि तुलना  बाल ठाकरे, शिवसेना और जर्मनी के तानाशाह हिटलर कि "स्टोर्म ट्रुपर" से करनी शुरू कर दी है.  योगी आदित्यनाथ ने उत्तरप्रदेश के हजारों बेरोजगार युवाओं को शंघटित करके उन्हें हिन्दू धर्मं के प्रचार प्रसार में लगाया और सदमार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया. चूँकि उनके पास अब युवा शक्ति के साथ हिन्दू धर्मं का एजेंडा भी है इसके लिए उनका " सर्व धर्मं सम्भाव" मिशन धीरे धीरे ही सही लेकिन फल-फूल रहा है, और ये बात "सेकुलर चमचों" के लिए किसी भी वज्रपात से कम नहीं जो दिन रात हिन्दुओं को बरगलाकर और बेरोजगार हिन्दू युवाओं का धर्मं परिवर्तन करवाकर ईसाइयत को बढ़ावा देने वाली "तुरीन देवी (सोनिया) " कि नज़रों में अपनी राजनितिक गोटियाँ फिट करने में लगे है..उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि पूर्वांचल में गरीब जनता को बरगलाकर सैंकड़ों सालों से चली आ रही उनकी राजनितिक साख को बट्टा लग जायेगा और वो जमीन में दफ़न हो जाएगी.
जाहिर है बाबा योगीनाथ  कि राजनितिक और वैचारिक साख इतनी जयादा बढ़ रही है कि "तुरीन चमचों" नींद हरम हो रही है,, ध्यान देने योग्य बात ये है कि नाथ संप्रदाय सामाजिक रूप से प्रगतिशील और समतावादी तथा धार्मिक रूप से समरस संप्रदाय है. एक ओर जहाँ वह वर्ण व्यवस्था विरोधी है वहीं दूसरी ओर वह सभी धर्मों के मानने वालों के लिए समान रूप से खुला हुआ है .अपने इसी स्वाभाव के कारण नाथ संप्रदाय निचली जातियों में अधिक लोकप्रिय है, नाथ संप्रदाय सामाजिक रूप से प्रगतिशील और समतावादी तथा धार्मिक रूप से समरस संप्रदाय था. एक ओर जहाँ वह वर्ण व्यवस्था विरोधी था वहीं दूसरी ओर वह सभी धर्मों के मानने वालों के लिए समान रूप से खुला था.अपने इसी स्वाभाव के कारण नाथ संप्रदाय निचली जातियों में अधिक लोकप्रिय है.
गोरखपुर एक शहर है जिसके मुहल्लों और बाज़ारों के नाम मुस्लिम्करण किया जा रहा है, माया बाज़ार का मियां बाजार, आर्यनगर का अलीनगर, इत्यादि, मुसलमानों ने इस बदलाव को फतवा जरी कर के सहमति दे दी लेकिन अब जाग्रत हो चुके हिन्दुओं को ये कभी भी मंजूर नहीं है और यही वैचारिक टकराव आने वाले दिनों में "सांप्रदायिक हिंसा का कारन बनेगा" (जैसा कि "सेकुलर चमचे चाहते है).  
लेकिन असल मुद्दे कि बात ये है कि हिन्दू कभी जागेगा क्या या फिर यूँही अपना विनाश होते देखता रहेगा..?? 

Friday, June 18, 2010

मीडिया की गलाकाट प्रतिश्प्रधा ..एक उदहारण.और कुछ जव्व्लंत मुद्दे. (Media Is Not Botherd for His News..)

मीडिया  अपनी टीआरपी की हवस में किसी भी हद तक जा सकता है। खासतौर से इलैक्ट्रॉनिक मीडिया ने तो जैसे सारी नैतिकता ही खत्म कर दी है उसको कोई मतलब नहीं है की इस देश और देश की जनता के साथ क्या हो रहा है,, आज के युग में  जब " लोकतंत्र शब्द " जब एक गाली बन चूका है, तो लोकतंत्र का चौथा स्तम्ब कहलाये जाने "बिकाऊ" मीडिया की कोई प्रासंगिकता नहीं रह  गयी है..
26 तारीख को मुंबई में आतंकवादी हमला हुआ हुआ तो पूरे देश में अफरा तफरी का माहौल था, लोग समझ नहीं प् रहे थे की क्या हो रहा है.. जिसने भी ये सुना की देश पर सबसे बड़ा आतंकवादी हमला हुआ "वो स्तब्ध था". प्रिंट इलेक्ट्रोनिक मीडिया के तमाम कर्मचारी कुछ देर में ही होटल ताज और नरीमन हाउस के पास अपने ताम झाम के साथ पहुँच गए. और जैसा की होता आ रहा है, हर खबर को एक्सक्लूसिव बता बता कर दिखा रहे थे, मतलब साफ़ है की ढहते किलों के बीच इलेक्ट्रानिक मीडिया को नया मंत्र मिल गया था . वह मंत्र था - आतंकवाद. आतंकवाद से इस लड़ाई में मीडिया सीधे जनता के साथ मिलकर मोर्चेबंदी कर रहा था.
वैश्विक मंदी के इस दौर में आतंकवाद ही एक ऐसा मंत्र था  जो ज्यादा देर तक दर्शकों को बुद्धूबक्से से जोड़कर रख सकता था. इलेक्ट्रानिक मीडिया इस मौके को किसी कीमत पर नहीं चूकना चाहता था. वही ताज होटल और नरीमन हाउस में अपनी जान की बाज़ी लगाकर लोहा लेते "राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड" (NSG) के अधिकारी और खुद मेजर दत्ता मीडिया से बार बार आग्रह कर रहे थे, की इस बात की पूरी संभावना है की आतंकवादी होटल में लगे टीवी सेट्स से हमारी हमारी कदम कदम की रणनीति की जानकारी ले रहे है,,, और ये बाद में साबित भी हो गयी की न्यूज़ अपडेट पाकर की आतंकवादी अपनी कदम कदम की रणनीति बना रहे थे.. पर उस समय मीडिया को सबसे जयादा अपनी टी आर पी की फिकर ज्यादा थी और कोई चैनल इससे चूकना नहीं चाहता था.

अगर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मीडिया इतना ही ईमानदार होता तो बीच में विज्ञापनों का ब्रेक न चलाता. अगर आतंकवाद के खिलाफ  मीडिया इतना ही ईमानदार होता तो चिल्ला-चिल्लाकर अपनी प्रामाणिकता सिद्ध करने की दुहाई न देता. अगर असल मुद्दा आतंकवाद है तो फिर चैनलों के ब्राण्डों पर असली पत्रकारिता की अलाप क्यों लगायी जाती है? क्यों टीवी के नौसिखिए लड़के/लड़कियां हमेशा अपने ब्राण्ड द्वारा ही सच्ची पत्रकारिता करने की दुहाई देते रहते हैं? क्यों टीवी वाले यह बताते हैं कि उन्हें इस मुद्दे पर इतने एसएमएस मिले हैं जबकि एक एसएमएस भेजने के लिए उपभोक्ता की जेब से जो पैसा निकलता है उसका एक हिस्सा टीवी चैनलों को भी पहुंचता है. इन सारे सवालों का जवाब यही है कि आखिरकार टीवी न्यूज बहुत संवेदनशाली धंधा है. और जिन पर इस बार हमला हुआ है वे भी धंधेवाले लोग हैं. एक धंधेबाज दूसरे धंधेबाज के लिए गला फाड़कर नहीं चिल्लाएगा तो क्या करेगा? आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के उनके मंसूबे तब दगा देने लगते हैं जब पता चलता है कि जिस चैनल की टीआरपी बढ़ी उसने अपनी विज्ञापन दर बढ़ा दी. है कोई चैनलवाला जो इस बात से इंकार कर दे?

मीडिया ने कुछ ऐसे मुद्दों को इतना ज्यादा बढावा दिया जितना की वो नहीं थे..जैसे आरुषि हत्याकाण्ड क्या हुआ लगता है कोई बहुत बड़ा विस्फोट हो गया। अगर इस प्रकार की कोई घटना किसी निम्न तबके की होती तो शायद खबर भी नहीं छपती। माना हत्याकाण्ड काफी गंभीर है लेकिन एक ही बात को लेकर सभी चैनल हाथ धोकर पीछे पड़ गए हैं जैसे उनको कोई बहुत बड़ा सुराग मिल गया है या कोई खजाना। मैंने काफी सारे केस देखें हैं जिन्हें आज तक किसी भी चैनल ने हाथ धोकर पीछे नहीं पड़े - लेकिन इस आरुषि हत्याकाण्ड को लेकर चैनल वालों ने तो कमाल ही कर दिया। मेरे हिसाब से एक बात को अगर दिखाया जाए तो कम से कम शब्द और साफ तरीके से दिखाया जाए न कि उसे लगातार दिखाना। किसी को ये विचार गलत लगे तो माफ करना -लेकिन इस भारत में और भी आरुषि हत्याकाण्ड है जिनका कोई जिक्र नहीं किया या जिनको मीडिया ने दफना दिया क्यूंकि कोई बड़ा नेता या बड़ा नौकरशाह इसमें शामिल था..
आजकल मीडिया का स्तर इतना ज्यादा गिर चूका है की कोई भी नेता और नौकरशाह कभी भी अपने लिए पैड आर्टिकल छापवा सकते है फिर चाहे उसका असर जो भी हो..  हम सब जानते है मीडिया की कमान आजकल सता के गलियारों में  है लेकिन इतना भी क्या गिरना की उठने लायक ही नहीं रहो.. नवभारत , एन डी टीवी, आजतक, जैसे कुछ चेन्नल है जो सिर्फ "तुरीन सरकार" के लिए काम करते है, ये एक लाबी है जिसका काम यही है की "सेकुलर और मुल्ला" बिरादरी को कैसे खुश रखा जाये,, चाहे इसके लिए इन्हें शांतिपसंद हिन्दुओं को चाहे "आतंकवादी" ही क्यूँ न बताना पड़े.. चाहे " भगत सिंह, वीर सावरकर, सुभाषचंद्र बोस और बिस्मिलाह " जैसे देशभक्तों को आतंकवादी बताना पड़े. पर "तुरीन सरकार" को खुश रखने के लिए उसके काले कारनामो पर  तेल लगाना जैसे इसकी आदत बन गयी है.. आज जरूरत है मीडिया को अपनी साख बचाकर अपने मूल सिद्दांत वापस अपनी कार्यशैली में लाने की.
मेरे कुछ दोस्त बात करते है की बढ़ाते इन्टरनेट की चलन के 5 साल में मीडिया खुद अपनी मौत मरेगा,, भगवान् करे ऐसा ही हो. ताकि हम खुद अपने स्तर पर भले बुरे की पहचान कर सके. ताकि फिर  कोई "मैकाले" हमें फिर से गुलामी के तरीके और  दास्ताँ न पढ़ाने आये..
(नीचे एक सम्मानित अखबार भास्कर की फोटो दे रहा हूँ, जिसमे बंगलोरे को आँध्रप्रदेश की राजधानी बताया गया है.. क्या कर्नाटक भाजपा शाशित है सिर्फ इसलिए या आन्ध्रप्रदेश "कांग्रेस" शाशित है इसलिए.   बात जो भी हो मीडिया को अपने काम की जिम्मेदारी लेनी होगी..)


Tuesday, June 15, 2010

हिन्दुओ पर अत्याचार और मुसलमानों पर इनायत ( कांग्रेस की दोगली निति ) और बिकाऊ मीडिया - Please Take this Issue in HIGH PRORITY.

जैसा की सब जानते "माइनो" (तुरीन) सरकार ने हमेशा हिन्दुओं के साथ दोहरा मापदंड अपनाया है. और कुछ तथाकतिथ हिंदूवादी नेताओ ने इस काम में कांग्रेस का जी भर के लेट लेट के साथ दिया है.
आपका ध्यान कुछ मुद्दों पर आकर्षित करना चाहूँगा,
1 ) . अगर सचिन तेंदुलकर भारतीय नक़्शे के आकर का बना (साइज़ एकदम अलग) का केक अपने जन्मदिन पर काटते है तो तथाकतिथ "तुरीन चमचे" उसके खिलाफ जंग का एलान कर देते है, उसे देशद्रोही कहकर उसके पोस्टर जलाते है. उसे भारतीय टीम से बहार रखने की मांग उठाते है.

2 ). अगर मन्दिरा बेदी एक समारोह में "तिरंगे" की आकृति बनी हुई साडी पहन लेती है तो न सिर्फ हिन्दुस्थान के "तुरीन ठेकेदार" बल्कि पूरी दुनियाँ के "हिन्दुओं के रक्षक".(?) खूब हो हल्ला मचाते है और मन्दिरा बेदी के पुतले जलाकर विरोध प्रकट करते है.

3 ). 15 अगस्त को बैंगलोर और कलकत्ता में 2 पुलिस वालों के हाथ से गलती से "तिरंगा' जमीनपर गिर जाता है तो "तुरीन सरकार" और "खुनी मार्क्स" उन पुलिस वालो तत्काल प्रभाव से निलाबित कर देते है.
 
          ये बड़ा मुद्दा न हो लेकिन जरा निचे "तुरीन सरकार" की हिन्दुओं के साथ दोहरी मानसिकता को भी देख लीजिये.

1 ) पवित्र अमरनाथ यात्रा के दोरान हाथ में तिरंगा लिए हुए शांति से "भारत माता की जय" नारे लगते श्रधालुओं पर जम्मू कश्मीर के पुलिस कामिसनर के आदेश पर खुले आम गोलियां दागी जाती है यह कहकर की " हिन्दू धार्मिक उन्माद फैला रहा है" ( क्या अपने देश का तिरंगा हाथ में लेकर देश के नारे लगाना गुनाह है..?? शायद कश्मीर में हो..!!)

2 ) कश्मीर में कुछ "भारतीय नागरिक" अपनी मांगो को लेकर दिन दहाड़े "लाल चौक" पर तिरंगे को जलाते है .. हिंदुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाते है तो वही पुलिस इन "शांति दूतों" के पास खड़े होकर इनका मूक समर्थन करती है.. (क्या ये दोगलापन नहीं है .??)

3 ).  14 अगस्त (पाकिस्तानी स्वतंत्रता) दिवस पर यही लोग पाकिस्तानी झंडा लहराते है , यहाँ तक की सरकारी कार्यालयों पर भी पाकिस्तानी झंडा कश्मीर में फहराया जाता है... और 15 अगस्त को ये लोग "तिरंगे" को जलाते है..  तो वो देश भक्त हो गए..????

चलो कुछ ऐसा दिखाता हूँ की शायद आपके खून में उबाल आ जाये.. ???
१.

( लाल चौक पर "कश्मीरी भाई " (मुसलमान भाई) " तिरंगा जलाते हुए. सिर्फ अपनी कुछ मांगो को लेकर.)

२.



 ( तिरंगे को जलाकर पाकिस्तान के झंडे को "पाकिस्तानी स्वतंत्रता " दिवस पर लहराया जाता है.. क्यूँ भारत की सरकार सब (नेता अधिरकारी)  छक्के है.)

३.  .



अब आप इसे क्या कहेंगे ..??? क्या देश हिन्दुओं का है..?? क्या ये "तुरीन सरकार" कभी भारत को अपना समझ पायेगी..??
क्या इस "तुरीन सरकार" और उसके "तथाकथित सेकुलर चमचों" ने भारत को खंडित करने के मंसूबे नहीं पल रखे है ..??
क्या ये बिकाऊ मीडिया अपनी भूमिका कभी देश हित में निभाएगा. .?? या फिर "तुरीन परिवार" की चमचागिरी में ही अपना मोक्ष समझेगा..??

चलो कुछ बिकाऊ मीडिया के कारनामे देख लेते है, जो देश की भोली-भली जनता का ध्यान कैसे असली मुद्दों से हटा देती है... ताकि उसकी "तुरीन माता" पर कोई आंच न आये...?

1 ). स्टार न्यूज़ की ब्रेअकिंग न्यूज़ :-  कमिश्नर का कुत्ता लापता ..


2 ). आज तक (सबसे तेज) का दम भरने वाले बिकाऊ चैनल की ब्रेकिंग न्यूज़:- (बिल्ली छाजे पर चढ़ी)


(अब ऊपर का सब तमाशा देख कर किसी के मन में ये सवाल नहीं रहना चाहिए की हिन्दू धर्म पर संकट क्यूँ है या इस देश का मीडिया कितना बिकाऊ है..?? )
एक बात तो तय है की इस "तुरीन सरकार" और उसके सेकुलर चमचो ने इस देश को बांटने का पक्का इरादा कर लिया है..
लेकिन सबसे बड़ा सवाल की क्या ये सब देखकर हिन्दू कभी जागेगा ..??? या फिर अपनी आँखों से अपना विनाश होते देखेगा...???
(आप अपनी राय दे.)

क्या हिन्दू आतंकवाद नाम की कोई चीज़ है.. (Is Hindu AATANKWAD working in INDIA..?)

पिछले कुछ समय से "हिन्दू आतंकवाद" की चिल्ल-पों मचाकर तथाकथित "सेकुलरों & माइनो" ने हिन्दू धर्म को खूब बदनाम किया है...?? साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की गिरफ्तारी के बाद "हिन्दू आतंकवाद" या हिन्दुओं को आतंकी घोषित करने वालों की तो मानो चांदी हो गयी है.
हिन्दू दर्शन के हर व्यवहार में आध्यात्म कूट-कूट कर निहित है. अगर आप भारत के गांवों में घूमें तो आप जितने भी गांवों में जाएंगे वहां आपको आपके रूप में ही स्वीकार कर िलया जाएगा. आप किस रंग के हैं, कौन सी भाषा बोलते हैं या फिर आपका पहनावा उनके लिए किसी प्रकार की बाधा नहीं बनता. आप ईसाई हैं, मुसलमान हैं, जैन हैं, अरब हैं, फ्रेच हैं या चीनी हैं, वे आपको उसी रूप में स्वीकार कर लेते हैं. आपके ऊपर इस बात का कोई दबाव नहीं होता कि आप अपनी पहचान बदलें. यह भारत ही है जहां मुसलमान सिर्फ मुसलमान होता है न कि भारतीय मुसलमान या फिर ईसाई सिर्फ ईसाई होता है न कि भारतीय ईसाई. जैसा कि दुनिया के दूसरे देशों में होता है कि यह सऊदी मुसलमान है या फिर यह फ्रेंच ईसाई है. यह भारत ही है जहां हिन्दुओं में आम धारणा है कि परमात्मा विभिन्न रूपों में विभिन्न नाम धारण करके अपने आप को अभिव्यक्त करता है. सभी धर्मग्रन्थ उसी एक सत्य को उद्घाटित करते हैं. अपने ३५०० साल के इतिहास में हिन्दू कभी आक्रमणकारी नहीं रहे हैं, न ही उन्होंने अपनी मान्यताओं को दूसरे पर थोपने की कभी कोशिश की है.
जब बाबरी मस्जिद को गिराया गया तो वो सिर्फ एक हिन्दुओं के धैर्य की परीक्षा थी. गौर करने लायक बात ये की "बाबरी विध्वंस" में एक भी मुस्लमान की हत्या नहीं हुई.लेकिन उसके बाद मुंबई में जो बम काण्ड हुए, उसमे सैंकड़ो हिन्दू मरे गए उसके बारे में आज तक कोई "सेकुलर या कांग्रेसी" बात नहीं करता है. ये तथाकथित "सेकुलर और कठमुल्ले" बार बार बाबरी मस्जिद के घाव को कुरेदकर उसमे निकलने वाले खून को चाटते रहते है. अनपढ़ मुसलमानों को हमेशा से बरगलाते रहते है. उन्हें खौफ दिखाकर या उनको बरगलाकर उनमे उन्माद भर देते है.. क्यूंकि "लाशो पे राजनीती इनका पहली बार अरब के आक्रमणकारियों के भारत पर हमले के साथ ही हिन्दू लगातार मुस्लिम आक्रमणकारियों के निशाने पर रहे हैं. १३९९ में तैमूर ने एक ही दिन में एक लाख हिन्दुओं का कत्ल कर दिया था. इसी तरह पुर्तगाली मिशनरियों ने गोआ के बहुत सारे ब्राह्मणों को सलीब पर टांग दिया था. तब से हिन्दुओं पर धार्मिक आधार पर जो हमला शुरू हुआ वह आज तक जारी है. कश्मीर में १९०० में दस लाख हिन्दू थे. आज दस हजार भी नहीं बचे है. बाकी हिन्दुओं ने कश्मीर क्यों छोड़ दिया? किन लोगों ने उन्हें कश्मीर छोड़ने पर मजबूर किया? अभी हाल की घटना है कि अपने पवित्रम तीर्थ तक पहुंचने के लिए हिन्दुओं को थोड़ी सी जमीन के लिए लंबे समय तक आंदोलन चलाना पड़ा, जबकि इसी देश में मुसलमानों को हज के नाम पर भारी सब्सिडी दी जाती है. एक ८४ साल के वृद्ध संन्यासी की हत्या कर दी जाती है जिसपर tathakathit Bilawoo भारतीय मीडिया कुछ नहीं बोलता लेकिन उसकी प्रतिक्रिया में जो कुछ हुआ उसको शर्मनाक घोषित करने लगता है.  

फ्रांस स्थित (Review of India)के मुख्य संपादक फ्रैंको'स गोतिये के शब्दों में:-
कई बार मुझे लगता है कि यह तो अति हो रही है. दशकों, शताब्दियों तक लगातार मार खाते और बूचड़खाने की तरह मरते-कटते हिन्दू समाज को लतियाने की परंपरा सी कायम हो गयी है. क्या किसी धर्म विशेष, जो कि इतना सहिष्णु और आध्यात्मिक रहा हो इतना दबाया या सताया जा सकता है? हाल की घटनाएं इस बात की गवाह है कि इसी हिन्दू समाज से एक वर्ग ऐसा पैदा हो रहा है जो हमलावरों को उन्हीं की भाषा में जवाब दे रहा है. गुजरात, कंधमाल, मंगलौर और मालेगांव सब जगह यह दिखाई पड़ रहा है. हो सकता है आनेवाले वक्त में इस सूची में कोई नाम और जुड़ जाए. इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर व्यापक हिन्दू समाज ने अपने स्तर पर आतंकी घटनाओं और हमलों के जवाब देने शुरू कर दिये तो क्या होगा? आज दुनिया में करीब एक अरब हिन्दू हैं. यानी, हर छठा इंसान हिन्दू धर्म को माननेवाला है. फिर भी सबसे शांत और संयत समाज अगर आपको कहीं दिखाई देता है तो वह हिन्दू समाज ही है. ऐसे हिन्दू समाज को आतंकवादी ठहराकर हम क्या हासिल करना चाहते हैं? क्या आतंकवादी शब्द भी हिन्दू समाज के साथ सही बैठता है? मेरे विचार में यह अतिवाद है.

आप इस बारे में क्या कहेंगे.

Monday, June 14, 2010

भोपाल गैस कांड :- तत्कालिक राष्ट्रपति और गृहमंत्री भी ज़िमेदार''' / BHOPAL GAIS SCAM : RAJIV GHANDI + CONGRESS PARTY IS LIBALE FOR THIS..

भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार अमेरिकन कंपनी यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन के पूर्व चीफ व

वारेन एंडरसन ने 7 दिसंबर को अपनी रिहाई के फौरन बाद राष्ट्रपति और गृह मंत्री से मुलाकात की थी। यह सनसनीखेज खुलासा तत्कालीन राजीव गांधी सरकार में मंत्री रह चुके अरुण नेहरू ने किया है।

जैसा की हम सब जानते है की कॉंग्रेस पार्टी " माइनो पार्टी" हमेशा से इस देश को एक खेती समझती रही है. जिसमे हज़ारो लाखों हिंदुओं को जलाकर / मारकर हमेशा से अपना सता का खेल खेला है. आज वो फिर बेनकाब हो गयी,.एक चैनल से बात करते हुए अरुण नेहरू ने कहा, 'रिहा होते ही वह सरकारी जहाज में दिल्ली आया। वह तत्कालीन गृह मंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव और राष्ट्रपति से भी करीब एक घंटे तक मुलाकात की थी. आपको याद होगा तत्कालीन पी. वी. सरकार के मंत्री ने उस समय इस्तीफ़ा दे दिया था, फिर उन्होने अपने बयान मे कहा की ये सरकार सिर्फ़ लाशों पर राजनीति करती है. ये मुद्दा ज़यादा नह्ीॉ उछाला गया क्यूंकी इस देश के बिकाऊ मीडीया ने इसे दबा दिया.



यह ऐसी घटना है जिसका स्पष्टीकरण दिया जाना जरूरी है। केवल सरकार ही इस मामले में कोई स्पष्टीकरण दे सकती है।' नेहरू एक समय में राजीव गांधी के मुख्य रणनीतिकार रह चुके हैं।

लाखो लोगो के हत्यारे और कॉंग्रेस पार्टी के लिए स्विस बैंक एंडरसन की रिहाई 7 दिसंबर को हुई थी, इसके महज पांच दिन पहले भोपाल प्लांट से खतरनाक मिथाइल आइसोसाइनाइट गैस का रिसाव हुआ था। इसमें हजारों लोगों की मौत हुई थी।



रविवार को वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह का बचाव किया था। उन्होंने कहा था, '8 दिसंबर 1984 को दिए गए अर्जुन सिंह के बयान से सब बात साफ हो जाती है।' अर्जुन सिंह ने उस समय दिए बयान में कहा था कि कानून और व्यवस्था की हालत बिगड़ रही थी। लोगों का गुस्सा भड़का हुआ था। ऐसे में एंडरसन को बाहर भेजना जरूरी लगा और मैंने उसे बाहर भेजने का फैसला किया।



तो आप लोग क्या उम्मीद करते है की "5M" संचालित इस पार्टी से हिन्दुस्तान का हिंदू न्याय की उमीद कर सकता है. मेरा मानना है की कभी नही.



जय हिंद.

हिन्दुतव ब्लॉग क्यूँ :- Why Hindutav Blog

राजस्थान की शौर्यधरा शेखावाती मैं जन्म लिया. वही वीर भूमि जिसमे महाराणा प्रताप / राणा सांगा जैसे सूरवीर हुए. जिन्होने कभी हिंदू धर्म को शर्मशार नही होने दिया. जिन्होने हिंदू धर्म के लिए अपना पद, अपना घर-बार त्याग दिया. जिन्होने मुग़लो की नाक मे अंत समय तक दम किए रखा. जिसके बारे तथाकथित बादशाह अकबर ने कहा - राजस्थान के एक मुठ्ठी बाजरे के लिए मैं हिन्दुस्तान की बादशाही खो देने वाला था.


आदरणीय सुरेशजी चीपलूनकर, संजयजी बैंगानी, और नवीनजी त्यागी से प्रेरणा लेकर हिन्दी ब्लॉग जगत मे आया. चूँकि राजस्थान का हूँ इसलिए हिंदू धर्म पर अत्याचार सहन नही होता, इसलिए हिंदू विरोधियों के लिए हिंदुओं हो जगाने की कोशिश कर रहा हूँ.!!!!
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