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Friday, September 30, 2011

आओ बच्चों तुम्हें दिखाए झाकी घपलिस्तान की - A poem on Congress Corrupted India

" बहुत दिन तक "ब्लॉग-जगत" से दूर रहने के बाद आज फिर आया हूँ.. "
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"कांग्रेस की दोगली निति और खाऊ-भांड मीडिया की नौटकी को देखकर एक कविता याद आई जो यहाँ लिख रहा हूँ..""

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आओ बच्चों तुम्हें दिखाए झाकी घपलिस्तान की,


इस मिट्टी पे सर पटको ये धरती है बेईमान की.


बंदों में है दम, राडिया-विनायकयम्.


उत्तर में घोटाले करती मायावती महान है

दक्षिण में राजा-कनिमोझी करुणा की संतान है.

जमुना जी के तट को देखो कलमाडी की शान है

घाट-घाट का पानी पीते चावला की मुस्कान है.

देखो ये जागीर बनी है बरखा-वीर महान की

इस मिट्टी पे सर पटको ये धरती है बेईमान की.


बन्दों में है दम...राडिया-विनायकम्.



ये है अपना जयचंदाना, नाज़ इसे गद्दारी पे.

इसने केवल मूंग दला है मजलूमों की छाती पे.

ये समाज का कोढ़ पल रहा, साम्यवाद के नारों पे

बदल गए हैं सभी अधर्मी भाडे के हत्यारे में .

हिंसा-मक्कारी ही अब,पहचान है हिन्दुस्तान की

इस मिट्टी पे सर पटको ये धरती है हैवान की.



बन्दों में है दम...राडिया-विनायकम्.


देखो मुल्क दलालों का, ईमान जहां पे डोला था.

सत्ता की ताकत को चांदी के जूतों से तोला था.

हर विभाग बाज़ार बना था, हर वजीर इक प्यादा था.

बोली लगी यहाँ सारे मंत्री और अफसरान की.

इस मिट्टी पे सर पटको ये धरती है शैतान की.

बन्दों में है दम...नंगे- बेशरम....!
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