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Saturday, July 31, 2010

कांग्रेसी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ते "राजस्थान के गौरवशाली ऐतिहासिक स्तम्भ"- ( Rajasthani Historical monument destroyed by Congress)

राजस्थान का गौरवशाली इतिहास भारत भूमि के लिए अपने अलग ही मायने रखता है.. जिस तरह यहाँ के राजपूत शूरवीरों ने भारतीय स्वतंत्रता के लिए जो योगदान दिया वो अमिट और अविस्मरनीय है, उसी तरह यहाँ के किले, महल, गढ़, आज भी यहाँ आने वाले सैलानियों के मन में अमिट छाप छोड़कर "गौरवशाली हिन्दुराज्य व्यवस्था" की यादें ताज़ा कर देते है.. लेकिन लगता है अब राजस्थान की गौरवशाली ऐतिहासिक धरोहर को फिर "इटालियन कांग्रेस" की नज़र लग गयी है और उसका निशाना बन रहे राजस्थान की राजधानी जयपुर के एतिहासिक स्मारक और धरोहर. जयपुर अपनी प्राचीन इमारतों के लिए एक प्रसिद्द शहर है और उन्ही में से एक है 18  वीं शताब्दी में बना हुआ "जलमहल", जो अपनी अदभुत स्थापत्यकला और नक्कासी का बेजोड़ नमूना है और गौरवशाली हिन्दुराज्य कि पहचान है. लेकिन अब ये अब कांग्रेसी भ्रष्टाचार कि भेंट चढ़ गए है.. जलमहल और उसकी झील का बड़ा इलाका शुरू से ही रसूखदार गिध्द्धों के निशाने पे था इसके लिए उन्होंने दुनिया कि सबसे भ्रष्ट पार्टी कांग्रेस के साथ मिलकर लम्बी - चौड़ी  कार्यप्रणाली बनाकर पहले जल महल झील  में शहर कि गंदगी निकासी के दो बड़े नाले जल-महल में मिलाए, फिर जल-महल झील के पुनःउद्धार के नाम से भ्रष्टाचारियों को जल-महल पर कब्ज़ा करने कि मूक सहमति दे दी..
जलमहल झील तब - 2005
कांग्रेसी फर्जी कंपनी जलमहल रिसॉर्ट प्राइवेट लिमिटेड (जेएमआरएल)और सरकार के बीच हुए कॉन्ट्रेक्ट के अनुसार 432 एकड़ की जमीन 99 साल के पट्टे पर जेएमआरएल को दे दी गई। 2005 में प्रोजेक्ट शुरू हुआ और तय यह हुआ कि जेएमआरएल जलमहल को कम्प्लीट टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में डिवेलप करे और बदले में व्यापारिक लाभ कमाए। इसके लिए 100 एकड़ में रेस्तरां, हैंडीक्राफ्ट बाजार, थिएटर, बजट होटल, कन्वेंशन सेंटर, एक लग्जरी रिसॉर्ट और स्पा जैसी चीजें डिवेलप करने की अनुमति दी गई। 2012-2013 तक कम्प्लीट होने वाले इस प्रोजेक्ट पर 500 करोड़ रुपए की लागत आएगी। लेकिन ये सब बेवकूफ जनता को और ज्यादा बेवकूफ बनाने के लिए प्लान था.!
जलमहल झील अब -2010
अब जेएम्आरएल के द्वारा वहां जिस तरह से तोड़-फोड़ कि जा रही है.. जिस तरह से झील में मिटटी डाली जा रही उसको देखकर मूर्खतम इंसान भी अंदाजा लगा सकता है वास्तव में  वहां  क्या हो रहा है. कांग्रेस का प्लान झील को सुखाकर उसे मिटटी से पाटकर अपने चमचों और हितेषियों को वहां अवैध कब्ज़ा देने का है..
ऐसा नहीं है कि राज्य की पूरी जनता ही "कांग्रेसी" हो गयी है.. भलमानुष
लोगों ने इस घोटाले और धोखाधड़ी के खिलाफ  "हाई-कोर्ट " में अर्जी  लगायी तो  न्यायिक मजिस्ट्रेट क्रम-22 जयपुर शहर ने जलमहल झील लीज में धोखाधड़ी व जलमहल स्मारक में स्थित मजार व मंदिरों में आवाजाही पर पाबन्दी को लेकर दर्ज प्राथमिकी में ब्रह्मपुरी पुलिस की ओर से लगाई अंतिम रिपोर्ट (एफआर) को अस्वीकार कर दिया। उच्चतम न्यायालय व राजस्थान उच्च न्यायालय के कानूनी दृष्टांतों व निर्णयों का हवाला देते हुए अदालत ने (जलमहल लीज प्रकरण) के आदेश में कहा कि अनुसंधान अधिकारी मात्र इस आधार पर उचित व सही अनुसंधान करने से नहीं बच सकता कि परिवाद उसके क्षेत्राधिकार का नहीं है। दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) की भी यही मंशा रही है कि जब अदालत द्वारा परिवाद थाने पर भेजा जाता है तो अनुसंधान अधिकारी का कर्तव्य है कि वह उसमें प्राथमिकी दर्ज कर सही व उचित अनुसंधान कर नतीजा रिपोर्ट पेश करे।

वहीं अदालत ने (जलमहल स्मारक में स्थित धार्मिक स्थलों में पूजा-अर्चना पर रोक प्रकरण) थानाधिकारी अशोक चौहान के सीआरपीसी की धारा 157 (1) बी में पेश परिवाद को अस्वीकार कर दिया। अदालत ने आदेश में कहा कि धारा 156 (3) में परिवाद को अनुसंधान के लिए भेजा है। धारा 157 व अन्य कानूनी प्रावधान इस परिवाद पर लागू होना नहीं पाया जाता है। अदालत ने दोनों प्रकरणों को थानाधिकारी के पास भिजवाकर उचित व सही अनुसंधान के बाद नतीजा पेश करने को कहा.
 यह कहा एफआर में
ब्रह्मपुरी थानाधिकारी ने जलमहल लीज में धोखाधड़ी मामले में दर्ज प्राथमिकी पर यह कहते हुए एफआर लगाई कि परिवादी भगवत गौड़ का परिवाद उनके क्षेत्राधिकार के बाहर का है। इस पर परिवादी के अधिवक्ता अजय कुमार जैन ने सर्वोच्च न्यायालय के रसिक दलपत राम ठक्कर प्रकरण का हवाला देते हुए कहा कि धारा 156 (3) में अनुसंधान के आदेश के बाद कोई भी थानाधिकारी क्षेत्राधिकार के आधार पर अनुसंधान करने से मना नहीं कर सकता है। धार्मिक स्थलों पर पूजा-अर्चना पर रोक संबंधी परिवाद में अनुसंधान के साक्ष्य नहीं होने को कहकर एफआर लगा दी गई, जिस पर परिवादी बाबू खान के अधिवक्ता अश्विनी बोहरा व अवधेश शर्मा ने प्रार्थना-पत्र लगाकर बताया कि धारा 156 (3) में भेजे परिवाद पर अनुसंधान अधिकारी को जांच कर नतीजा पेश करना होता है। अनुसंधान अधिकारी का यह कृत्य कानून के विपरीत है।
बात साफ़ है कि "कर्णाटक" में भ्रष्टाचार का हो-हल्ला मचाने वाले कांग्रेस्सियों को "राजस्थान कांग्रेस" के  महानरेगा, सेज, सोलर पॉवर, दवाई घोटाले क्यूँ नज़र नहीं आते है. ?? या फिर सब "चमचों" को मोहनदास गांधी और गाँधी परिवार के बन्दर बना दिए गया  है.. ??

Saturday, July 10, 2010

"खाप पंचायते" हिन्दू समाज व्यवस्था की "रक्षक या भक्षक"..???

आज कल दम तोड़ते प्रिंट  और  इलेक्ट्रोनिक मीडिया को एक नयी संजीवनी मिली है..और वो संजीवनी है "खाप पंचायत". हर छोटा हो या बड़ा.. बिकाऊ हो या कमाऊ , सभी चैनल पर " खाप पंचायत" को लेकर  "चर्चा में, टक्कर, खुली आवाज़, आमने सामने"  जैसे अनेक प्रोग्राम प्रसारित किये जा रहे है.. सभी चैनल वाले  "कुछ सामाजिक विशेषज्ञों (?) और कुछ चिन्तक शुतुरमुर्गों" को अपने प्रोग्राम में बुलाकर बड़े बड़े दावे किये जा रहे है.. लेकिन मीडिया की इस आपाधापी में असल मुद्दा कही पीछे छुटता जा रहा है.. और वो मुद्दा है...

क्या खाप पंचायते हिन्दू सामाजिक व्यवस्था के लिए खतरा  है या नहीं...????
इस मुद्दे को समझने के लिए आपको पहले "खाप पंचायतों" के बारे में बता देता हूँ...
खाप या सर्वखाप एक सामाजिक प्रशासन की पद्धति है जो भारत के उत्तर पश्चिमी प्रदेशों यथा राजस्थान, हरियाणा, पंजाब एवं उत्तर प्रदेश में अति प्राचीन काल से प्रचलित है। जिसमे "हरियाणा" की खाप पंचायत कड़े फैसले लेने में सबसे आगे है..
 समाज में सामाजिक व्यवस्थाओं को बनाये रखने के लिए मनमर्जी से काम करने वालों अथवा असामाजिक कार्य करने वालों को नियंत्रित किये जाने की आवश्यकता होती है, यदि ऐसा न किया जावे तो स्थापित मान्यताये, विश्वास, परम्पराए और मर्यादाएं ख़त्म हो जावेंगी और जंगल राज स्थापित हो जायेगा। मनु ने समाज पर नियंत्रण के लिए एक व्यवस्था दी। इस व्यवस्था में परिवार के मुखिया को सर्वोच्च न्यायाधीश के रूप में स्वीकार किया गया है। जिसकी सहायता से प्रबुद्ध व्यक्तियों की एक पंचायत होती थी। जाट समाज में यह न्याय व्यवस्था आज भी प्रचलन में है। इसी अधार पर बाद में ग्राम पंचायत का जन्म हुआ.
जब अनेक गाँव इकट्ठे होकर पारस्परिक लेन-देन का सम्बन्ध बना लेते हैं तथा एक दूसरे के साथ सुख-दुःख में साथ देने लगते हैं तब इन गांवों को मिलकर एक नया समुदाय जन्म लेता है जिसे जाटू भाषा में गावड़ कहा जाता है। यदि कोई मसला गाँव-समाज से न सुलझे तब स्थानीय चौधरी अथवा प्रबुद्ध व्यक्ति गावड़ को इकठ्ठा कर उनके सामने उस मसले को रखा जाता है। प्रचलित भाषा में इसे गावड़ पंचायत कहा जाता है। गावड़ पंचायत में सभी सम्बंधित लोगों से पूछ ताछ कर गहन विचार विमर्श के पश्चात समस्या का हल सुनाया जाता है जिसे सर्वसम्मति से मान लिया जाता है।
जब कोई समस्या जन्म लेती है तो सर्व प्रथम सम्बंधित परिवार ही सुलझाने का प्रयास करता है। यदि परिवार के मुखिया का फैसला नहीं माना जाता है तो इस समस्या को समुदाय और ग्राम समाज की पंचायत में लाया जाता है। दोषी व्यक्ति द्वारा पंचायत फैसला नहीं माने जाने पर ग्राम पंचायत उसका हुक्का-पानी बंद करने, गाँव समाज निकला करने, लेन-देन पर रोक आदि का हुक्म करती है। यदि समस्या गोत्र से जुडी हो तो गोत्र पंचायत होती है जिसके माध्यम से दोषी को घेरा जाता है।...
खाप शब्द का विश्लेषण करें तो हम देखते हैं कि खाप दो शब्दों से मिलकर बना है । ये शब्द हैं 'ख' और 'आप'. ख का अर्थ है आकाश और आप का अर्थ है जल अर्थात ऐसा संगठन जो आकाश की तरह सर्वोपरि हो और पानी की तरह स्वच्छ, निर्मल और सब के लिए उपलब्ध अर्थात न्यायकारी हो. अब खाप एक ऐसा संगठन माना जाता है जिसमें कुछ गाँव शामिल हों, कई गोत्र के लोग शामिल हों या एक ही गोत्र के लोग शामिल हों। इनका एक ही क्षेत्र में होना जरुरी नहीं है। एक खाप के गाँव दूर-दूर भी हो सकते हैं. बड़ी खापों से निकल कर कई छोटी खापों ने भी जन्म लिया है. खाप के गाँव एक खाप से दूसरी खाप में जाने को स्वतंत्र होते हैं. इसी कारण समय के साथ खाप का स्वरुप बदलता रहा है। आज जाटों की करीब 3500  खाप अस्तित्व में हैं..

खाप पंचायतों का पौराणिक सन्दर्भ ..
रामायण काल में इतिहासकार जिसे वानर सेना कहते हैं वह सर्वखाप की पंचायत सेना ही थी जिसका नेतृत्व वीर हनुमान ने किया था और जिसका प्रमुख सलाहकार जामवंत नामक वीर था. राम और लक्ष्मन की व्यथा सुनकर हनुमान और सुग्रीव ने सर्व खाप पंचायत बुलाई थी जिसमें लंका पर चढाई करने का फैसला किया गया. उस सर्व खाप में तत्कालीन भील, कोल, किरात, वानर, रीछ, बल, रघुवंशी, सेन, जटायु आदि विभिन्न जातियों और खापों ने भाग लिया था. वानरों की बहुतायत के कारण यह वानर सेना कहलाई. इस पंचायत की अध्यक्षता महाराजा सुग्रीव ने की थी।
महाभारत काल में सर्वखाप पंचायत ने धर्म का साथ दिया था। महाभारत काल में तत्कालीन पंचायतो या गणों के प्रमुख के पद पर महाराज श्रीकृष्ण थे। श्रीकृष्ण ने कई बार पंचायतें की। युद्ध रोकने के लिए सर्व खाप पंचायत की और से संजय को कौरवों के पास भेजा, स्वयं भी पंचायत फैसले के अनुसार केवल ५ गाँव देने हेतु मनाने के लिए हस्तिनापुर कौरवों के पास गए। शकुनी, कर्ण और दुर्योधन ने पंचायत के फैसले को ताक पर रख कर ऐलान किया कि सुई की नोंक के बराबर भी जगह नहीं दी जायेगी। इसी का अंत हुआ महाभारत युद्ध के रूप में. महाभारत के भयंकर परिणाम निकले। ..

पिछले कुछ समय से मीडिया में खाप पंचायतों के  "ओनर किलिंग" और "तुगुलकी फ़रमान" सामने आ रहे है.. और मीडिया  इस बात को बड़ा चढ़ा कर पेश कर रहा है... इस बारे में अखिल भारतीय जाट महासभा के अध्यक्ष ओमप्रकाश मान कहते है कि "हम सब हिन्दू धर्मं में पैदा हुए, हिन्दू समाज व्यवस्था दुनिया के सभी समाजों में श्रेष्ठ है. लेकिन पिछले कुछ समय से जिस तरह हमारी सामाजिक व्यवस्था को छिन्न भिन्न करने कि कोशिस कि जा रही है, उस वजह से हमें कुछ कड़े फैसले लेने पड़ते है.. "ओनर किलिंग" जैसे मसले पर खाप पंचायत के बुजुर्ग कहते है कि "साहब हम भूखे रह कर दुःख भोगकर इतने कष्ट उठाकर अपनी औलाद को पालते है उसे बड़ा करते है.. अब आप ही बताइए कोई अपने कलेजे के टुकडे को कोई बिना वजह क्यूँ मरेगा..??  लेकिन हाँ हमारे समाज के आगे हमारी औलाद का कोई मोल नहीं है.. समाज है तो हम है, देश है, कानून है और कानून कि आंच पर अपनी रोटियां सेकने वाले नेता है.. और अगर कोई इस मसले पर हमें गलत बोलता है वो पहले अपने बच्चों कि आपस में शादी कर के दिखाए.. एयर कंडीशन में बैठ कर बड़ी बड़ी बातें करना आसान  है.. लेकिन यहाँ (गांवों में) अगर कोई लड़का लड़की गलत कदम उठाता है तो उसके परिवार वालों का जीना मुश्किल हो जाता है... हम समाज में रहते है और समाज से हम बाहर नहीं जा सकते.. क्यूंकि हमारी इज्जत ही हमारी सबसे बड़ी दौलत है..  

मैं इसी मसले पर "दूरदर्शन" पर एक प्रोग्राम देख रहा था जिसमे एक आदमी ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को खुली चुनौती देते हुए कहा कि " समाज में हम 5000 सालों से रह रहे है और 50 साल पहले आया कोई भी कानून हमें हमारी सामाजिक व्यवस्था कि हिफाजत करने से नहीं रोक सकता...!!!!!

मतलब साफ़ है.. हिन्दू धर्म को अब फिर से निशाना बनाया जा रहा है, और अब इन "तालिबानियों" ने इस "तुरीन सरकार" कि पहल पर एक नया जेहाद शुरू किया है और वो जेहाद है "लव जेहाद". और इस काम में बिकाऊ मीडिया इसका पूरा पूरा सहयोग भी दे रहा है.. सभी जानते है मुस्लिम समाज कि सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि वो अपनी बहनों तक का लिहाज नहीं करते,  और वो ये चाहते है कि "हिन्दू सामाजिक व्यवस्था भी उन्ही कि तरह बेशर्म हो जाये.   क्यूंकि वो अच्छी तरह से जानते है अगर किसी कौम को ख़तम करना है तो सबसे पहले उसके "  गौरवशाली इतिहास और समाज" को खत्म कर दो वो कौम अपने आप ख़त्म हो जायेगी.. और "तुरीन सरकार" कि पहल पर यही सब हो रहा है.. कभी पहले हमारे धार्मिक आस्थाओं को, फिर हमारे गौरवशाली इतिहास को, और अब हमारी सामाजिक व्यवस्था को निशाना बनाया जा रहा है.. .
मैं निजी तौर पर खाप पंचायतों के फैसले को सही मानता हूँ, क्यंकि जब समाज ही नहीं बचेगा तो देश, कौम और कानून क्या खाक बचेगा,.!!!!!!!!!! आप कि इस मुद्दे पर क्या राय है...???
(बेबाक अपनी राय दे.. )


Thursday, July 1, 2010

घुसपैठ का दंश झेलता भारत (Pak Militiant Infiltration In India)

जैसा कि "सुरेशजी" से वादा कर चूका था कि भारत में राजस्थान के रास्ते होने वाली "घुसपैठ" के बारे में एक लेख लिखूंगा...  इस लेख के लिए मैं खुद जोधपुर जाकर वहां रहने वाले "भिखारियों (?) और वहां कि बी एस ऍफ़ "बोर्डर सिक्यूरिटी फ़ोर्स" के आला अधिकारीयों से भी मिल चूका हूँ,,

(प्रस्तुत है आपके लिए "पाकिस्तानी घुसपैठ" के भयावह हालात)

- 1947 में जब "ब्रिटिश भारत" का विभाजन करके पाकिस्तान का निर्माण किया गया था तब करीब 1.45 करोड़ लोगो ने हिंसा के डर से बहुमत संप्रदाय के देश में शरण ली और  तभी से पाकिस्तान के पश्चिमी पंजाब प्रान्त से "घुसपैठ" करने का और करने वालों का कारोबार शुरू हो चूका था, इतिहास गवाह है कि इस हिंसा में करीब 5 लाख लोगों कि हत्या कि गयी..  विभाजन के बाद दोनों नए देशों के बीच विशाल जन स्थान्नातरण हुआ,, "पाकिस्तान में बहुत से हिन्दुओं और सिखों को जबरन अपने घर से निकाल कर बाहर कर दिया गया..उनके घरों को आग लगा दी गयी और उनका सामान लूट लिया गया..
लेकिन "सनकी मोहनदास गाँधी" कि दोगली राजनीती के चलते भारत में रह रहे मुसलमानों पर ये दवाब नहीं डाला गया कि वो भारत को छोड़कर "पाकिस्तान" जाये.. हाँ अगर कोई "मुसलमान भाई" पाकिस्तान जाना चाहता है तो जा सकता अन्यथा भारत में भी रह सकता है..
भारत के विभाजन के बाद शुरू में उन मुसलमानों ने अवैध रूप से पाकिस्तान जाना शुरू कर दिया जो विभाजन के समय पाकिस्तान नहीं जा सके थे, या जो शरणार्थी बनकर भारत में रह गए थे, और इस काम में उन लोगो का साथ दिया राजस्थान कि पाकिस्तान से लगती सीमा पर बसे गाँवों के लोगो ने. जिन्होंने पैसे लेकर पाकिस्तान कि बोर्डर पार करवाना शुरू कर दिया था, वो लोग इस बात को नहीं जानते थे कि "उनके द्वारा चलाई गयी ये उलटी रीत एक दिन भारत के सामने बहुत बड़ी गंभीर समस्या बनकर खड़ी होगी..

आंकड़े बताते है कि हर साल गर्मी के मौसम में करीब 2000 से 2500  पाकिस्तानी लोग "राजस्थान कि रुकांवाला और भुठेवाला" सीमा से अवैध रूप से सीमा पर कर के आ जाते है..  इस घुसपैठ सेना के अधिकारी कहते है "राजस्थान एक विषम परिस्थियों से भरा हुआ क्षेत्र है., जहाँ दूर दूर तक पानी का नामोनिशान नहीं है., गर्मी में जहाँ का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है.. जहा के रेतीले टीले दिन रात अपना स्थान बदलते रहते है;; वहां पर सेना कि लाख  कोशिशों के बाद भी घुसपैठ हो ही जाती है"
सेना के अधिकारीयों का कहना  भी सही है, क्यूंकि इन परिस्थितियों से निपटने के लिए उनके पास प्रयाप्त साधन नहीं है.."(यहाँ गौर फरमाने के लायक बात ये है कि जो सेना के जवान दिन-रात देश कि सेवा में लगे रहते है उनके पास पिने के लायक पानी नहीं है.. भयानक गर्मी से निपटने के लिए कोई इन्तेजाम नहीं है.. और हमारे देश के हरामी नेता जो पूरे देश को नोच नोच कर खा रहे है वो बिना एयर कंडीसन के रह नहीं सकते,  जिन्हें  अपना पिछवाडा धोने के लिए मिनरल वाटर चाहिए..)". 
ये घुसपैठ कितनी खतरनाक है इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि भारत में हुए अब तक बम ब्लास्ट और जासूसी के केस में जितने लोग पकडे गए है उनमे से 70 % लोग राजस्थान कि सीमा से भारत आये थे.. राजस्थान सरकार कहने को तो घुसपैठियों को ढूंडने का दिखावा करती है और सालाना इसके 10 करोड़ रुपये भी खर्च किये जा रहे है लेकिन असलियत क्या है ये आप खुद "जोधपुर और जैसलमेर" के रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों का नजारा देख कर लगा सकते है. जहाँ करीब हजारों "पाकिस्तानी भिखारियों के रूप में रह रहे है और सीमा पर बैठे अपने आकाओं के हुक्म का इन्तेजार कर रहे है.
पता नहीं ये लोग कब क्या करेंगे..? कितने मासूमों कि जान लेंगे..?? कितने घरों का चिराग बुझाएंगे..?? और हमला होने के बाद हमारा हमेशा सोते रहने वाला गृहमंत्रालय सवेदना व्यक्त करेगा और वही पुराना घिसा पीटा आतंकवाद विरोधी बयान देकर सो जायेगा,, लेकिन इसकी असली कीमत कौन चुकाएगा ,,,,,??????
  "राजस्थान सरकार के सरकारी महकमे के अधिकारीयों कि इच्छा शक्ति का नमूना तो देखिये, जब उनसे इस बारे में बात कि जाती है तो वो बुरा सा मुंह बनाकर बोलते है " इन भिखारियों के कौन मुंह लगे.(?) (मतलब हमारे आलाकमान अधिकारीयों के लिए इस देश कि अखंडता और सुरक्षा बनाये रखने के लिए देश में घुस कर बैठे इन देशद्रोहियों से बात करना भी गवारा नहीं.)
कांग्रेस सरकार का एक सिद्दांत बन चूका है कि आप कोई भी मुसलमान हो "चाहे पाकिस्तानी हो या अफगानी हो" कांग्रेस का हाथ आपके साथ हमेशा रहेगा.. क्यूँ कि आपके अल्लाह में ही कांग्रेस वोट बैंक रहता है..
सेना की उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बीएस जसवाल ने एक बयान में कहा है कि पाकिस्तान की ओर से आतंकियों को देश में धकेलने में कोई कमी नहीं आई है। 600 से 800 आतंकी इस समय घुसपैठ की फिराक में हैं।
हमारे "तुरीन और सेक्युलर नेता" एक ख़ास वोट बैंक को खुश करने के लिए हमेशा पाकिस्तान के साथ दोस्ती का ढोंग करते है और आतंकवादी मुसलमानों को "भटका हुआ और मासूम" बताते है. वो ये नहीं जानते है कि घुसपैठ, आतंकवाद जैसे संवेदनशील मसलों पर चुप बैठे रहना शांतिप्रियता नहीं नंपुसकता है। भारत का नौजवान तो आज भी देश के लिए मरने-मारने को तैयार है लेकिन “ तुरीन सरकार का भ्रमित व पंगु नेतृत्व” जिसका हमेशा ध्यान सत्ता पर कब्जा बनाए रखने में ही रहता है, उसके हाथ बांधे रखता है।
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विदेशी घुसपैठ की समस्या को विश्व के अन्य देश कैसे हल करते हैं इसका यदि अध्ययन करें तो पायेंगे कि अपने देश की सीमा में अनधिकृत प्रवेश पर अफगानिस्तान उन्हें जान से मार देता है, मैक्सिको, क्यूबा, वेनेंज्वेला, सउदी अरब व इरान अजीवन जेल में डाल देते हैं, उत्तारी कोरिया बारह साल का सश्रम कारावास देता है तो चीन उसे कभी दोबारा नहीं देखता है। यदि इन परिस्थितियों को भारतीय संदर्भ में देखें तो "तुरीन और सेक्युलर सरकारें" अपने इस आरक्षित वोट बैंक के लिए राशनकार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाईसेंस, वोटर आईडी कार्ड, क्रेडिट कार्ड, खाद्य सब्सिडी, हज सब्सिडी, नौकरी में आरक्षण आदि न जाने क्या क्या थाली में परोस कर देती हैं। जो भारत में रहने वाले गरीब और "लतियाते" हिन्दुओं के पास भी नहीं है.. और अब, जनसंख्या रजिस्टर में नाम दर्ज कर विशेष पहचान पत्र दिये जाने की तैयारियां पीछे के दरवाजे से चल रही हैं। इसके बाद यह सभी देश के दुश्मन भारतीय नागरिक बनकर देश के किसी भी भाग में कभी भी और कुछ भी करने को स्वतंत्र होंगे। इस प्रकार हम मूक दर्शक बन एक गम्भीर राष्ट्रीय खतरे को आमंत्रण देंगे। काश! देश के कर्णधार समय रहते इस खतरे को समझ पाएं।
लेकिन मुझे नहीं लगता कि "अपने वोट बैंक" को नाराज कर ये "तुरीन और सेक्युलर सरकार " इस देश कि सेना और देश कि सीमा के हिफाजत के लिए कोई कदम उठाएगी..???

आपको क्या लगता है कि हमारा देश अब सुरक्षित है..??? (अपनी राय जरूर दे)
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