
सेकुलर नेताओं और कठमुल्लों के निशाने पे रहने वाले "योगी आदित्यनाथ " को जब भाजपा ने चुनाव का टिकट दिया तो मानो इन "तुरीन चमचों के कलेजे पर हजारों जहरीले सांप लोट गए" क्यूंकि ये मुद्दा तथाकथित "सेकुलर नेता और तथाकथित भाजपा भक्तों को नागवार गुजरा कि हिन्दू युवा वाहिनी और हिन्दू महासभा के बैनर तले हिन्दू धर्मं का प्रचार करने वाले योगी को सांसद का टिकट दे दिया गया. मैं इस चर्चा को जरी रखते हुए आपको सबसे पहले योगी आदित्यनाथ का परिचय करावा देना चाहता हूँ.
"योगी आदित्यनाथ" गोरखनाथ मठ के उत्तराधिकारी है और हिन्दू युवा वाहिनी के संरक्षक हैं. इसके अलावा हिन्दू जागरण मंच, केसरिया सेना, केसरिया वाहिनी, कृष्ण सेना आदि अनेक ऐसे संगठन हैं जो उनके अग्रिम संगठन के रूप में काम करते हैं. और भी कई संगठन हैं जो समाज के अलग-अलग वर्गों को संगठित करने के क्रम में तैयार किये गए हैं, जैसे फुटपाथ पर गुजारा करने वालों को ' राम प्रकोष्ठ' के अंतर्गत और जो लकड़ी या बांस का काम करते हैं उन्हें 'बांसफोड़ हिन्दू मंच' के बैनर तले संगठित किया जा रहा है और ये बात "सेकुलर चमचों" को कभी भी मंजूर नहीं कि हिन्दुओं का भला हो और वो संघटित हो जाये क्यूंकि इनको तो एक खास वोट बैंक में ही अल्लाह , परमात्मा, और ईसाह मसीह निवास करते है..
"योगी बाबा आदित्यनाथ कि असली पूँजी और ताकत है "गोरखनाथ मठ" और वही उनका आश्रय स्थल है..जहाँ वे लोगो को धर्म और सदमार्ग पर चलने और "सर्व धर्मं संभाव" के उपदेश देते है लेकिन वो ये नहीं जानते कि कुछ खास "मुल्लों" और "तुरीन चमचों" ने उनके खिलाफ एक योजनाबद्ध तरीके से उनको "बदनाम" करने कि मुहीम छेड़ रखी है और इसके लिए बाकायदा "बिकाऊ तुरीन पत्रकारों" के द्वारा पेड आर्टिकल लिखाये जा रहे है. चूँकि उन्होंने ये हिन्दुओं को संघटित करने कि प्रेरणा "RSS" और "विश्व हिन्दू परिषद्" से ली है इसके लिए बाकायदा बदनाम भी किया जा रहा है, (मतलब ये कि जो हिन्दुओं और हिंदुत्व कि बात करेगा वही इस कलयुगी सरकार के लिए "आतंकवादी और अलगाववादी" होगा) योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक प्रभाव और अंदाज़ देखकर इन "तुरीन चमचों" कि पैंट गीली और ढीली हो रही है और उनके पिछवाड़े में इस तरह खलबली मची हुई है कि उन्होंने इस प्रभाव कि तुलना बाल ठाकरे, शिवसेना और जर्मनी के तानाशाह हिटलर कि "स्टोर्म ट्रुपर" से करनी शुरू कर दी है. योगी आदित्यनाथ ने उत्तरप्रदेश के हजारों बेरोजगार युवाओं को शंघटित करके उन्हें हिन्दू धर्मं के प्रचार प्रसार में लगाया और सदमार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया. चूँकि उनके पास अब युवा शक्ति के साथ हिन्दू धर्मं का एजेंडा भी है इसके लिए उनका " सर्व धर्मं सम्भाव" मिशन धीरे धीरे ही सही लेकिन फल-फूल रहा है, और ये बात "सेकुलर चमचों" के लिए किसी भी वज्रपात से कम नहीं जो दिन रात हिन्दुओं को बरगलाकर और बेरोजगार हिन्दू युवाओं का धर्मं परिवर्तन करवाकर ईसाइयत को बढ़ावा देने वाली "तुरीन देवी (सोनिया) " कि नज़रों में अपनी राजनितिक गोटियाँ फिट करने में लगे है..उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि पूर्वांचल में गरीब जनता को बरगलाकर सैंकड़ों सालों से चली आ रही उनकी राजनितिक साख को बट्टा लग जायेगा और वो जमीन में दफ़न हो जाएगी.
जाहिर है बाबा योगीनाथ कि राजनितिक और वैचारिक साख इतनी जयादा बढ़ रही है कि "तुरीन चमचों" नींद हरम हो रही है,, ध्यान देने योग्य बात ये है कि नाथ संप्रदाय सामाजिक रूप से प्रगतिशील और समतावादी तथा धार्मिक रूप से समरस संप्रदाय है. एक ओर जहाँ वह वर्ण व्यवस्था विरोधी है वहीं दूसरी ओर वह सभी धर्मों के मानने वालों के लिए समान रूप से खुला हुआ है .अपने इसी स्वाभाव के कारण नाथ संप्रदाय निचली जातियों में अधिक लोकप्रिय है, नाथ संप्रदाय सामाजिक रूप से प्रगतिशील और समतावादी तथा धार्मिक रूप से समरस संप्रदाय था. एक ओर जहाँ वह वर्ण व्यवस्था विरोधी था वहीं दूसरी ओर वह सभी धर्मों के मानने वालों के लिए समान रूप से खुला था.अपने इसी स्वाभाव के कारण नाथ संप्रदाय निचली जातियों में अधिक लोकप्रिय है.
गोरखपुर एक शहर है जिसके मुहल्लों और बाज़ारों के नाम मुस्लिम्करण किया जा रहा है, माया बाज़ार का मियां बाजार, आर्यनगर का अलीनगर, इत्यादि, मुसलमानों ने इस बदलाव को फतवा जरी कर के सहमति दे दी लेकिन अब जाग्रत हो चुके हिन्दुओं को ये कभी भी मंजूर नहीं है और यही वैचारिक टकराव आने वाले दिनों में "सांप्रदायिक हिंसा का कारन बनेगा" (जैसा कि "सेकुलर चमचे चाहते है).
लेकिन असल मुद्दे कि बात ये है कि हिन्दू कभी जागेगा क्या या फिर यूँही अपना विनाश होते देखता रहेगा..??