मुझे बहुत अजीब सा लगा कि जो लोग बात बात पर हिन्दुओं पर तोहमत लगाते है वो लोग इतनी शिद्दत से देश में शांति कि अपील कैसे कर सकते है. खैर मन में एक सुकून था कि चलो इस मुद्दे पर तो ये लोग देश को बंटाना नहीं चाहते है, पर मैं गलत था, फैसला आने के 24 घंटे के अन्दर इन लोगों ने वही राग अलापना शुरू कर दिया जो पाकिस्तान हमेशा कश्मीर पर अलापता आया है. इन लोगों ने फैसले को एक तरफा करार दिया और बड़े बड़े लेख लिख डाले कि "फैसला में हिन्दू जीत गया पर हिन्दुस्तान और कानून हार गया". इस बार इन्होने अपने जज न्यायमूर्ति एस क्यू खान को भी लपेटे में ले लिया.
इन महान पत्रकारों(?) ने अपना दोगला चरित्र अब दिखाना शुरू कर दिया, एक तरफ तो ये "सहिष्णुता" का मुखौटा ओढ़े हुए है, वही दूसरी तरफ हिन्दुओं और न्याय व्यवस्था को पानी पी पी कोस रहे है. सलीम खान का दोगलापन तो मुझे अच्छे से मालूम था कि ये भेड़ का लबादा ओढ़े हुए भेडिया बोल रहा है पर अव-शेष नारायण भी अपने "सेक्युलर शोरूम" पर ताला लगने के डर से घबरा गए और इस फैसले को एक तरफा तक करार दे दिया. नीरेंद्र नागर की भाजपा से जलन इस बात से साफ़-साफ़ झलकती है कि "भाजपा इस फैसले पर खुश नहीं है और भाजपा कि हार हो गयी". मुसलमानों के पक्षधर बनने वाले नीरेंद्र नागर ने शायद अब "फेस रीडिंग पत्रकारिता" की नयी शुरुआत" कर दी है सलीम खान जो कल तक सहिष्णुता का भाषण झाड रह था आज उसने इस फैसले के खिलाफ नयी श्रंखला शुरू कर दी,
तो क्या ये "सहिष्णुता और धैर्य" का पालन करने का आदेश सिर्फ और सिर्फ हिन्दुओं के लिए ही था ??
कांग्रेस के मुखपत्र और बिकाऊ पत्रकारिता और पेड न्यूज़ में नए आयाम स्थापित कर चुके "नवभारत टाइम्स" ने एक लेख में लिखा "मुसलमानों के पक्ष में फैसला आने से कट्टरपंथी हिन्दू और भगवा ब्रिगेड द्वारा हिंसा फैलाये जाने की पूरी-पूरी सम्भावना है" मैं तो आज तक यही सुनाता आया था की हिन्दू सहिष्णु होते है और मुसलमान कट्टरपंथी होते है फिर ये नवभारत टाइम्स हिन्दुओं को किस बिनाह पर कट्टरपंथी और असहिष्णु घोषित करने में लगा है ये आप अच्छी तरह से समझ सकते है.
नभाटा की वो खबर जिसमे हिन्दुओं को कट्टरपंथी बताया है |
जगजाहिर है की अयोध्या भगवान् श्री राम की जन्मभूमि है और वहां पर मंदिर था, ये बात न्यायलय मान चूका है, वहां जो 3 न्यायमूर्ती बैठे थे वो कानून के ज्ञाता थे, उन्होंने सुन्नी वक्फ बोर्ड की इस दलील को ख़ारिज कर दिया की वहां सिर्फ बाबरी मस्जिद ही थी और वो पूरी ज़मीन बाबरी मस्जिद को दे दी जाए. फिर भी माननीय जजों ने "भारत के सांप्रदायिक सदभाव" को तरजीह देते हुए १/३ हिस्सा मुसलमानों के "दान" में दिया फिर भी हिन्दू सब कुछ जानते हुए भी कुछ नहीं बोला, क्या ये हिन्दुओं के सहिष्णुता और धैर्य का प्रमाण नहीं है..??
जिस तरह से "हिन्दुओं" ने सहिष्णुता का परिचय देते हुए अपने विधाता श्री राम की ज़मीन का हिस्सा देना कबूल कर लिया, क्या कोई मुसलमान "काबा, मक्का और मदीना" में एक इंच भी ज़मीन कोई मंदिर बनाने के लिए दे सकता है..??
जिस तरह से हिन्दु अपनी जीत पर सिर्फ "सौहार्द और भाईचारे" के लिए अपनी ख़ुशी मनाने की बजाय शांति से अपने घर में रहे, क्या ये फैसला मुसलमानों के पक्ष में आता तो क्या वो मुसलमान जो "पाकिस्तान की जीत पर जश्न मानते हुए पूरे शहर में पटाखे फोड़ते है" हिन्दुओं की भावनाओ का सम्मान करते...??
तो फिर किस बिनाह पर हिन्दुओं को "असहिष्णु और कट्टरपंथी" कहा जा रहा है..???
फिर क्यों ये अपने आप को पत्रकार समझने वाले ब्लॉगर गिरगिट की तरह रंग बदल रहे है..???
satya kaha mitra,
ReplyDeletesab kuch bika hua hai. Aur aaj ka Patrkaar to sabse bada Luchha hai.
आग तो तेरे और सुरेश चिपलूनकर जैसों के पिछवाड़े में लगी है जो बार-बार राम राम चिलाये जा रहा है. कानून व्यवस्था से हमारा भरोसा उठ गया है अब इन्शाल्ल्ह मस्जिद वहीँ बनायेंगे,. आमीन..
ReplyDeleteखुदा की इबादत करने वालो को कोई कोर्ट, कोई कानून नहीं रोक सकता.
बहुत ही कटु सत्य कहा है आपने मेरे भी कुछ ऐसे ही विचार हैं ............यदि समय हो तो कृपया मेरे लेख को पढ़ कर उस पर भी प्रतिक्रिया दे दें |
ReplyDeletehttp://nationalizm.blogspot.com/
भाई इधर कोई नै आएगा आप का जवाब देने....
ReplyDeleteसब की बोलती बंद कर दी आपने जय श्री राम
भें*** के लौड़**** निशान खत्री ,,,
ReplyDelete"मस्जिद वहीँ बनायेंगे" पिछवाड़े में दम है तो वह जाकर भी दिखाना पिछवाड़े में पे***** कर पाकिस्तान भेज देंगे सीधे.....
एक हिन्दू का बयान देख " मस्जिद बनाइये जरुर बनाइये पर अयोध्या में तो हरगिज ही नहीं." मस्जिद है पुरे भारत में है हर जगह है , हम उसको आदर की दृष्टी से देखते है , आपके बनाये सवैया भी खाते है और ईद की मुबारक बाद भी देते है .. पर आप हमें हमारे ही घर में हमें पढ़ाएंगे की हम मंदिर कहा बनाये और कहा न बनाये...
@गणेश प्रसाद,
ReplyDeleteअगर दम है तो सामने आकर गालियाँ दे.. खुदा कसम हलाल कर के रख देंगे.
ये कोर्ट का फैसला तुम हिन्दुओं को बहुत भारी पड़ेगा. अब जलजला आएगा और तुम्हारी कौम का नामोनिशान तक मिटा देगा.
ये कोई पाकिस्तानी है या फिर देश द्रोही जो हिन्दू मुस्लिम को लड़वाना चाहता है।
Deleteएक्दम सत्य लिखा है आपने. साधुवाद.
ReplyDeleteनिशार खत्री नामक अनामी से सावधान. इस तरह के हरामी और नाजायज अपनी पहचान छुपा के अपनी भड़ास निकालते हैं, इसलिए इसकी किसी भी बात पर गौर करने की जरुरत नहीं है.
उत्साहवर्धन और सलाह के लिए धन्यवाद दिवाकर मणीजी.
ReplyDeleteनिशार खत्री तो एक और "मुखौटा" है इन दोगले लोगों का. किसी ने "इम्पैक्ट" का मुखौटा तो किसी ने "निशार खत्री" का मुखौटा लगा रखा है..
शायद ये नही जानते इनका "दोगलापन" ही इनका "दिवालियापन" बनेगा..
@ Nishar Khatri, Roshanganj, साले तेरी पहचान क्या है ? छुप के क्यों बैठा है ! इससे ही पता चलता है की तू हराम (पाकिस***) की औलाद है !
ReplyDeleteहा.हाहा.हा...
और हा यहाँ मजहब के नाम पर हम (हिन्दू / मुस्लमान) भाइयो को आपस में लड़ाने की ताक में हमेसा रहते हो और हराम की रोटिय सकते हो. अब भारतीय मुस्लमान समझ चुके है की क्या सही है और क्या गलत. तुम्हारे अब भूखे मरने की नौबत आने वाली है इसलिए बौखला गए हो... अल्लाह / भगवन तुम्हे इसी तरह जलील होकर मरने को मजबूर करे.. "आमीन"
जलजला, जलजला तो पता नहीं कितने हजारो सालो से तुम ला रहे हो ! और अब लगता है तुम्हारे जैसे भें*** के लौ***** ही जल कर ख़तम होने वाले है !
धन्यवाद गणेश प्रसादजी,,
ReplyDeleteजो लोग जिस भाषा में समझते है आपने उनको उसी भाषा में समझाया.
ऐसे लोग राम-रहीम को आपस में लड़वाने वाले होते है जैसे "मुल्ला मुलायम"
आपकी हर बात से सहमत।आपने तो इन गद्दारों की असलियत सबके सामने रख दी।
ReplyDeleteधन्यवाद सुनील दत्त साहब,
ReplyDeleteनिसार के नाम से कोई पाकिस्तानी तो कमेन्ट नहीं कर रहा.
ReplyDeleteबहुत सार्थक लेख -------- यदि मस्जिद होती तो क्या हिन्दुओ को जमीन बटवारे में दी जाती नहीं
ReplyDeleteहमें एक इंच भी जमीन देना स्वीकार नहीं .
निसार मैं तुझ को सामने गाली नही चप्पलिया दूंगा .अबे तू क्या हलाल करेगा हम तेरा कटा हुआ अवशेष जड़ से उखाड़ दूंगा .पर साला तुम गांडू अपनी पहचान छुपाए आस्तीन का साप , न जाने कहा छुपा बैठा है .
ReplyDeleteअबे अगर माँ का दूध पिया है तो सामने आ तेरी जबान हलक से न खीच ली तो मेरा नाम अभिषेक नही ,
ReplyDeleteये निसार सलीम खान ही है .
ReplyDelete११ बजे भगत सिंह जी ने इस लेख की सूचना सलीम खान के ब्लॉग ''मलिन सन्देश '' पर दी और ये नाजायज ,खिसियाया हुआ निसार प्रकट हो गया ठीक १ घंटा बाद १२ बजे ..
ये लेख पड़ कर सलीम खान प्रतिक्रिया जरुर देता .वो भी जब उस की ब्लॉग में जा कर उस को ललकारा गया हो
पर वो सामने नही आया .क्यों की वो इस निसार से रूप में जहर उगल रहा है
अभिषेकजी,
ReplyDeleteयहाँ ब्लॉग जगत में कितने नकाब है ये बात हम जैसे मामूली आदमी समझ भी नहीं सकते. "सलीम खान" ने सुरेशजी के ब्लॉग पर ये कहकर टिपण्णी की "दम है तो छापकर दिखा दो'' ऐसा बोला जैसे "टिपण्णी" नहीं "बम रख दिया हो"
मुझे एक बहुत बड़े ब्लॉगर महानुभाव का ईमेल मिला है जिसमे उसने मुझे "अपने समाज की भाषा" में अच्छे -अच्छे शब्दों में नवाज़ा है..
जल्दी ही वो मेल ब्लॉग पर प्रकाशित करूँगा.. ..
आबे इतनी दूर कीयू जा रहा है--जस्टिस ख़ान ने देश की एकता अखंडता को बचाने के लिए मुसलमानो के भंवओ की कुर्बानी दे दी,कीयू के मुसलमान तो समझ ही रहे है,हिंदू भी ये समझ रहे है के अगर जस्टिस ख़ान अपने धर्म को मुल्क से उपर रखते(जैसा एक जज ने रखा)तो फ़ैसला हिंदू के खेलफ भी जा सकता था,कीयू के फ़ैसला मे आस्था देखी गयी,सबूत नही,और आस्था मुसलमानो का किसी हिंदू से कम नही,,लेकिन देखो के वही हिंदू साधु संत जस्टिस ख़ान के बलिदान को नही समझा रहा और जस्टिस शर्मा को सम्मानित करने की बात करके पूरे निएपलिका और जजो के ग़लत फ़ैसले पे अपनी मोहर लगा रहा है,
ReplyDeleteसलीम मिया क्या आप बताएँगे की कही आप का दूसरा नाम "Nishar Khatri, Roshanganj " तो नहीं ??????
ReplyDeleteअगर नहीं तो "http://hinduraaj.blogspot.com/ " पर अपनी सफाई पेश करे....
Bahut Khub aur ek achha lekh
ReplyDeleteTeri maan ki sale..ganesh prasad,,
ReplyDeletekya ukhar loge hamara. sale tum hindu ek kutte tak ko achhut bana dete ho.
jis gaay ko tum mata kahate ho usi ko pitate ho,
masjid wahan par thi sab janate hai aur tere baap sale lalkrashan aadwani ne dhayee thi.
hum anguli tedi karana bi aata hai..
tum madir banana suru to karo tumhe unhi deewaron me chun denge...
@ Anonymous ... रस्सी जल गई पर बल नहीं गया ! साले भोंकता रह कोई नई सुनाने वाला तेरा क्यों की जब तुम्हारी फटती है तो साले तुम ऐसे ही भोकते हो.. पर तुम्हारे पिछवाड़े में दम नहीं है जो हमारी झा*** भी उखाड़ सको ... भोकते रहो भोकते रहो... सायद तुम्हारे अब्बा जो विदेशो में बैठे है कुछ तरस खाकर कुछ टुकड़ा तुम्हारे ओर फेक दे ... पर सायद अब ऐसा कुछ ना हो ! और हा हमने अब तेरे जैसे कुत्तो को रोटी डालना छोड़ दिया है ! दान में जमीं तो क्या जीने के लिए अब तुम्हारे जैसो का हक़ भी छीन लेंगे हम भारतीय (ह = हिन्दू / म = मुस्लमान)...
ReplyDeleteब्लॉगर साहब कुछ अप्सब्द के लिए क्षमा चाहता हूँ ..!
हिंदुत्व और राष्ट्रवाद जी
ReplyDeleteआपकी हिम्मत और आपके ज़ज्बे को मेरा प्रणाम....
मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूँ . आपको आभार ....
धन्यवाद वीरेन्द्र चौहानजी.
ReplyDeleteतुम संघियों की यही समस्या है, हर बात पर लट्ठ उठा लेते हो. मैं एक भारतीय नागरिक हूँ और यकीन मानो मैंने कभी साम्प्रदायिकता को तूल नहीं दिया, मेरे हर लेख पर मुझे उलटी-सीधी गालियाँ दी गयी, क्या यही है संघ-शिक्षा. हाँ मैं मनाता हूँ वैचारिक तौर पर आरएसएस की विचारधारा से मेरे मतभेद है जिसे मैंने कभी नहीं छुपाया.
ReplyDeletebhai sabko nambar se peet diya.. JAY HO.
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ReplyDelete@ Anonymous ... Abey harami Tu kya hindu logo ka bigadega pehle apne pakistani bhaiyo ko to america se bacha le sale handicapped kate........
ReplyDeleteशेष जी, अपनी विचारधारा को अफगानिस्तान में भी प्रमोट कीजिये...
ReplyDeleteसलीम खान के कार्य गैर इस्लामिक - जहन्नुम जायेंगे - इस्लामिक विद्वान् की राय
ReplyDeleteभाइयों मेरे कुछ प्रश्नों के "अल्लाह के सेवक", जो की एक इस्लामिक विद्वान् हैं के द्वारा दिए गए उत्तरों से यह निष्कर्ष निकलता है की सलीम खान के कृत्य गैर इस्लामिक हैं तथा क़यामत के दिन अल्लाह उनको जहन्नुम में डाल देगा |
हम मुस्लिमो के अल्लाह से निवेदन करते हैं की सलीम जी को सदबुद्धी दें ताकी उनको जहन्नुम के कम से कम यातनाएं भोगनी पड़ें |
दक्षिण में राजा-कनिमोझी करुणा की संतान है.
ReplyDeleteमधु कोड़ा, रेड्डी बन्धु और येद्धुरेप्पा का भी गुणगान कर लेते |
kisi religion ko gali dena kud k dharm ko valid dene k braber hota h.
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