आज कल दम तोड़ते प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया को एक नयी संजीवनी मिली है..और वो संजीवनी है "खाप पंचायत". हर छोटा हो या बड़ा.. बिकाऊ हो या कमाऊ , सभी चैनल पर " खाप पंचायत" को लेकर "चर्चा में, टक्कर, खुली आवाज़, आमने सामने" जैसे अनेक प्रोग्राम प्रसारित किये जा रहे है.. सभी चैनल वाले "कुछ सामाजिक विशेषज्ञों (?) और कुछ चिन्तक शुतुरमुर्गों" को अपने प्रोग्राम में बुलाकर बड़े बड़े दावे किये जा रहे है.. लेकिन मीडिया की इस आपाधापी में असल मुद्दा कही पीछे छुटता जा रहा है.. और वो मुद्दा है...
क्या खाप पंचायते हिन्दू सामाजिक व्यवस्था के लिए खतरा है या नहीं...????
इस मुद्दे को समझने के लिए आपको पहले "खाप पंचायतों" के बारे में बता देता हूँ...
खाप या सर्वखाप एक सामाजिक प्रशासन की पद्धति है जो भारत के उत्तर पश्चिमी प्रदेशों यथा राजस्थान, हरियाणा, पंजाब एवं उत्तर प्रदेश में अति प्राचीन काल से प्रचलित है। जिसमे "हरियाणा" की खाप पंचायत कड़े फैसले लेने में सबसे आगे है..
समाज में सामाजिक व्यवस्थाओं को बनाये रखने के लिए मनमर्जी से काम करने वालों अथवा असामाजिक कार्य करने वालों को नियंत्रित किये जाने की आवश्यकता होती है, यदि ऐसा न किया जावे तो स्थापित मान्यताये, विश्वास, परम्पराए और मर्यादाएं ख़त्म हो जावेंगी और जंगल राज स्थापित हो जायेगा। मनु ने समाज पर नियंत्रण के लिए एक व्यवस्था दी। इस व्यवस्था में परिवार के मुखिया को सर्वोच्च न्यायाधीश के रूप में स्वीकार किया गया है। जिसकी सहायता से प्रबुद्ध व्यक्तियों की एक पंचायत होती थी। जाट समाज में यह न्याय व्यवस्था आज भी प्रचलन में है। इसी अधार पर बाद में ग्राम पंचायत का जन्म हुआ.
जब अनेक गाँव इकट्ठे होकर पारस्परिक लेन-देन का सम्बन्ध बना लेते हैं तथा एक दूसरे के साथ सुख-दुःख में साथ देने लगते हैं तब इन गांवों को मिलकर एक नया समुदाय जन्म लेता है जिसे जाटू भाषा में गावड़ कहा जाता है। यदि कोई मसला गाँव-समाज से न सुलझे तब स्थानीय चौधरी अथवा प्रबुद्ध व्यक्ति गावड़ को इकठ्ठा कर उनके सामने उस मसले को रखा जाता है। प्रचलित भाषा में इसे गावड़ पंचायत कहा जाता है। गावड़ पंचायत में सभी सम्बंधित लोगों से पूछ ताछ कर गहन विचार विमर्श के पश्चात समस्या का हल सुनाया जाता है जिसे सर्वसम्मति से मान लिया जाता है।
जब कोई समस्या जन्म लेती है तो सर्व प्रथम सम्बंधित परिवार ही सुलझाने का प्रयास करता है। यदि परिवार के मुखिया का फैसला नहीं माना जाता है तो इस समस्या को समुदाय और ग्राम समाज की पंचायत में लाया जाता है। दोषी व्यक्ति द्वारा पंचायत फैसला नहीं माने जाने पर ग्राम पंचायत उसका हुक्का-पानी बंद करने, गाँव समाज निकला करने, लेन-देन पर रोक आदि का हुक्म करती है। यदि समस्या गोत्र से जुडी हो तो गोत्र पंचायत होती है जिसके माध्यम से दोषी को घेरा जाता है।...
खाप शब्द का विश्लेषण करें तो हम देखते हैं कि खाप दो शब्दों से मिलकर बना है । ये शब्द हैं 'ख' और 'आप'. ख का अर्थ है आकाश और आप का अर्थ है जल अर्थात ऐसा संगठन जो आकाश की तरह सर्वोपरि हो और पानी की तरह स्वच्छ, निर्मल और सब के लिए उपलब्ध अर्थात न्यायकारी हो. अब खाप एक ऐसा संगठन माना जाता है जिसमें कुछ गाँव शामिल हों, कई गोत्र के लोग शामिल हों या एक ही गोत्र के लोग शामिल हों। इनका एक ही क्षेत्र में होना जरुरी नहीं है। एक खाप के गाँव दूर-दूर भी हो सकते हैं. बड़ी खापों से निकल कर कई छोटी खापों ने भी जन्म लिया है. खाप के गाँव एक खाप से दूसरी खाप में जाने को स्वतंत्र होते हैं. इसी कारण समय के साथ खाप का स्वरुप बदलता रहा है। आज जाटों की करीब 3500 खाप अस्तित्व में हैं..
खाप पंचायतों का पौराणिक सन्दर्भ ..
रामायण काल में इतिहासकार जिसे वानर सेना कहते हैं वह सर्वखाप की पंचायत सेना ही थी जिसका नेतृत्व वीर हनुमान ने किया था और जिसका प्रमुख सलाहकार जामवंत नामक वीर था. राम और लक्ष्मन की व्यथा सुनकर हनुमान और सुग्रीव ने सर्व खाप पंचायत बुलाई थी जिसमें लंका पर चढाई करने का फैसला किया गया. उस सर्व खाप में तत्कालीन भील, कोल, किरात, वानर, रीछ, बल, रघुवंशी, सेन, जटायु आदि विभिन्न जातियों और खापों ने भाग लिया था. वानरों की बहुतायत के कारण यह वानर सेना कहलाई. इस पंचायत की अध्यक्षता महाराजा सुग्रीव ने की थी।
महाभारत काल में सर्वखाप पंचायत ने धर्म का साथ दिया था। महाभारत काल में तत्कालीन पंचायतो या गणों के प्रमुख के पद पर महाराज श्रीकृष्ण थे। श्रीकृष्ण ने कई बार पंचायतें की। युद्ध रोकने के लिए सर्व खाप पंचायत की और से संजय को कौरवों के पास भेजा, स्वयं भी पंचायत फैसले के अनुसार केवल ५ गाँव देने हेतु मनाने के लिए हस्तिनापुर कौरवों के पास गए। शकुनी, कर्ण और दुर्योधन ने पंचायत के फैसले को ताक पर रख कर ऐलान किया कि सुई की नोंक के बराबर भी जगह नहीं दी जायेगी। इसी का अंत हुआ महाभारत युद्ध के रूप में. महाभारत के भयंकर परिणाम निकले। ..
पिछले कुछ समय से मीडिया में खाप पंचायतों के "ओनर किलिंग" और "तुगुलकी फ़रमान" सामने आ रहे है.. और मीडिया इस बात को बड़ा चढ़ा कर पेश कर रहा है... इस बारे में अखिल भारतीय जाट महासभा के अध्यक्ष ओमप्रकाश मान कहते है कि "हम सब हिन्दू धर्मं में पैदा हुए, हिन्दू समाज व्यवस्था दुनिया के सभी समाजों में श्रेष्ठ है. लेकिन पिछले कुछ समय से जिस तरह हमारी सामाजिक व्यवस्था को छिन्न भिन्न करने कि कोशिस कि जा रही है, उस वजह से हमें कुछ कड़े फैसले लेने पड़ते है.. "ओनर किलिंग" जैसे मसले पर खाप पंचायत के बुजुर्ग कहते है कि "साहब हम भूखे रह कर दुःख भोगकर इतने कष्ट उठाकर अपनी औलाद को पालते है उसे बड़ा करते है.. अब आप ही बताइए कोई अपने कलेजे के टुकडे को कोई बिना वजह क्यूँ मरेगा..?? लेकिन हाँ हमारे समाज के आगे हमारी औलाद का कोई मोल नहीं है.. समाज है तो हम है, देश है, कानून है और कानून कि आंच पर अपनी रोटियां सेकने वाले नेता है.. और अगर कोई इस मसले पर हमें गलत बोलता है वो पहले अपने बच्चों कि आपस में शादी कर के दिखाए.. एयर कंडीशन में बैठ कर बड़ी बड़ी बातें करना आसान है.. लेकिन यहाँ (गांवों में) अगर कोई लड़का लड़की गलत कदम उठाता है तो उसके परिवार वालों का जीना मुश्किल हो जाता है... हम समाज में रहते है और समाज से हम बाहर नहीं जा सकते.. क्यूंकि हमारी इज्जत ही हमारी सबसे बड़ी दौलत है..
मैं इसी मसले पर "दूरदर्शन" पर एक प्रोग्राम देख रहा था जिसमे एक आदमी ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को खुली चुनौती देते हुए कहा कि " समाज में हम 5000 सालों से रह रहे है और 50 साल पहले आया कोई भी कानून हमें हमारी सामाजिक व्यवस्था कि हिफाजत करने से नहीं रोक सकता...!!!!!
मतलब साफ़ है.. हिन्दू धर्म को अब फिर से निशाना बनाया जा रहा है, और अब इन "तालिबानियों" ने इस "तुरीन सरकार" कि पहल पर एक नया जेहाद शुरू किया है और वो जेहाद है "लव जेहाद". और इस काम में बिकाऊ मीडिया इसका पूरा पूरा सहयोग भी दे रहा है.. सभी जानते है मुस्लिम समाज कि सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि वो अपनी बहनों तक का लिहाज नहीं करते, और वो ये चाहते है कि "हिन्दू सामाजिक व्यवस्था भी उन्ही कि तरह बेशर्म हो जाये. क्यूंकि वो अच्छी तरह से जानते है अगर किसी कौम को ख़तम करना है तो सबसे पहले उसके " गौरवशाली इतिहास और समाज" को खत्म कर दो वो कौम अपने आप ख़त्म हो जायेगी.. और "तुरीन सरकार" कि पहल पर यही सब हो रहा है.. कभी पहले हमारे धार्मिक आस्थाओं को, फिर हमारे गौरवशाली इतिहास को, और अब हमारी सामाजिक व्यवस्था को निशाना बनाया जा रहा है.. .
मैं निजी तौर पर खाप पंचायतों के फैसले को सही मानता हूँ, क्यंकि जब समाज ही नहीं बचेगा तो देश, कौम और कानून क्या खाक बचेगा,.!!!!!!!!!! आप कि इस मुद्दे पर क्या राय है...???
(बेबाक अपनी राय दे.. )